पिछड़ी रैंकिंग पहुंची 98वें पायदान पर
हमीरपुर, 16 जून, 2020। करीब 100 करोड़ रुपए सालाना बजट वाले एनआईटी हमीरपुर की रैंकिंग भर्तियों के भ्रष्टाचार के कारण 98वें पायदान पर जा पहुंची है। यह गंभीर आरोप राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने लगाया है।
उन्होंने कहा है कि बीजेपी राज में चारों ओर चल रहे भ्रष्टाचार के बाद अब एनआईटी हमीरपुर भी इससे अछूता नहीं रहा है। राणा ने खुलासा किया है कि एनआईटी हमीरपुर में करीब 1 साल में 100 लोगों की भर्ती सिर्फ रिश्तेदारी व नजदीकी संबंधों के आधार पर की गई है, जिस कारण से एनआईटी हमीरपुर की रैंकिंग 13वें स्थान से लुढ़क कर 98वें स्थान पर जा पहुंची है।
अगर आलम यही रहा तो आने वाले वक्त में एनआईटी हमीरपुर की रैंकिंग पिछड़ कर 150वें रैंक तक जाने का खतरा मंडरा रहा है।
राणा ने आरोप लगाया कि पिछले 1 साल में सत्ता संरक्षण में चल रहे इस भर्ती घोटाले में करीब 100 लोग भर्ती किए गए हैं, जिनमें से 99 फीसदी संस्थान के मुखिया के गृह राज्य सें संबंधित हैं और उनमें से भी 66 फीसदी समुदाय विशेष के भर्ती किए गए हैं।
हद तो यह है कि इनमें से भी 10 फीसदी के करीब लोग रिश्तेदारी या क्लोज़ रिलेशन वाले भर्ती किए गए हैं। अगर योग्यता की बात करें तो इनमें से अधिकांश लोग ग्रेजुएट हैं और ग्रेजुएशन भी उन्होंने प्राइवेट इंस्टीच्यूशन से की है, जो कि नियमों के विपरीत है।
राणा ने कहा कि इस तरह करीब 12 करोड़ रुपए का सालाना वित्तिय भार एनआइटी पर आया है और इसी भर्ती के कारण एनआईटी हमीरपुर की रैंकिंग भी पिछड़ी है।
राणा ने कहा कि इस भर्ती घोटाले की जिम्मेदारी व जवाबदेही से स्थानीय सांसद अनुराग ठाकुर भी नहीं बच सकते हैं, क्योंकि एनआईटी हमीरपुर को सीधे तौर पर केंद्र की मिनिस्ट्री ऑफ हयूमन रिसोर्स डिवेलपमेंट मंत्रालय देखती है।
राणा ने कहा कि एनआईटी का रैंकिंग में पिछड़ने का सबब सीधे तौर पर नियमों को ताक पर रख कर की गई भर्तियां बनी हैं क्योंकि एनआईटी हमीरपुर में पहले से तैनात 132 फैक्लटी ने जो रिसर्च पेपर किए थे अब नई भर्तियां होने के कारण यह रिसर्च पेपर ऐसे लोगों में भी बंटा है, जिन्होंने अभी तक कोई भी रिसर्च वर्क नहीं किया है।