शिमला। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने यहां प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की निगरानी के लिए गठित उच्च राज्य स्तरीय समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य सरकार वर्ष 2022 तक प्रदेश के सभी 9.61 लाख किसान परिवारों को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाने के लिए प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती पारंपरिक खेती से भिन्न है, जिसमें खेती के विभिन्न संसाधनों का प्रयोग होता है। उन्होंने कहा कि रासायनिक कीटनाशक और उर्वरकों के लगातार उपयोग से उत्पादन में वृद्धि हुई है, लेकिन इससे मिट्टी और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव हुए हैं। प्राकृतिक खेती के तहत रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों के उपयोग के बिना विभिन्न फसलों के उत्पादन पर बल दिया जाता है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि वर्ष 2018-19 के बजट के दौरान प्रदेश में प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था।
उन्होंने कहा कि इस योजना में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग किए बिना प्राकृतिक के साथ कृषि आय में वृद्धि की परिकल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 67 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती से न केवल किसानों को स्वच्छ और रासायन मुक्त फल व सब्जियां प्राप्त होती हैं, बल्कि उन्हें उपज का उचित मूल्य भी प्राप्त होता है। राज्य सरकार ने वर्ष 2019 के दौरान राज्य में प्राकृतिक खेती के तहत 50 हजार परिवारों को लाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन लगभग 55 हजार परिवारों को लाने में सफलता प्राप्त हुई।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष प्राकृतिक खेती के तहत दो लाख किसान परिवारों को लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में कुल 3226 पंचायतों में से, 2934 पंचायतों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के तहत लाया गया है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में उचित प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। 2019-20 के दौरान 50 हजार किसानों के लक्ष्य के मुकाबले प्राकृतिक खेती के लिए 72 हजार 193 किसानों को प्रशिक्षित किया गया है। 2019-20 के दौरान लगभग दो हजार प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए गए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष कोविड महामारी के दृष्टिगत वास्तविक प्रशिक्षण शिविर लगाना संभव नहीं था, इसलिए किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से नियमित वीडियो शिविर तथा जागरूकता अभियान आयोजित किए गए।
उन्होंने कहा कि इस दौरान किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए प्रशिक्षित किसानों के साथ व्यक्तिगत संपर्क और छोटे समूहों के साथ बैठक आयोजित की गई। राज्य सरकार किसानों को उनके प्राकृतिक उत्पाद बेचने में सुविधा प्रदान करने के लिए अलग से स्थान उपलब्ध करवाने पर भी विचार करेगी।