26 नवम्बर को होगी मजदूरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल

Spread with love

पन्द्रह सूत्रीय मांग पत्र पर प्रदेश के लाखों मजदूर व कर्मचारी उतरेंगे सड़कों पर

शिमला। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के आह्वान पर 26 नवम्बर को देश के करोड़ों मजदूरों व कर्मचारियों द्वारा मोदी सरकार की मजदूर,कर्मचारी व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जाएगी।

इस दिन हिमाचल प्रदेश के सभी उद्योग व संस्थान बन्द रहेंगे तथा मजदूर व कर्मचारी सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। हड़ताल को सफल बनाने के लिए इस से पूर्व ब्लॉक,जिला व राज्य स्तर पर ट्रेड यूनियनों व कर्मचारी फेडरेशनों की संयुक्त बैठकें व अधिवेशन होंगे।

ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के हिमाचल प्रदेश के संयोजक डॉ कश्मीर ठाकुर, इंटक प्रदेशाध्यक्ष बाबा हरदीप सिंह, महामंत्री सीता राम सैनी, एटक प्रदेशाध्यक्ष जगदीश भारद्वाज, महासचिव देवक़ीनन्द चौहान, एचएमएस प्रदेशाध्यक्ष नरेश कुमार कप्पा, महासचिव नरेश कुमार चौहान, सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने संयुक्त बयान जारी करके कहा है कि 26 नवम्बर को राष्ट्रीय आह्वान पर हिमाचल प्रदेश के सभी उद्योगों व संस्थानों में हड़ताल रहेगी।

इस दिन सभी जिला, ब्लॉकों व स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन होंगे। प्रदेश के लाखों मजदूर सड़कों पर उतरकर केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश सरकार की मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ हल्ला बोलेंगे।

उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार पूंजीपतियों के हित में कार्य कर रही है व मजदूर विरोधी निर्णय ले रही है। पिछले सौ साल के अंतराल में बने चबालिस श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताएं अथवा लेबर कोड बनाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।

कोरोना काल का फायदा उठाते हुए मोदी सरकार के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश जैसी कई राज्य सरकारों ने आम जनता,मजदूरों व किसानों के लिए आपदाकाल को पूंजीपतियों व कॉरपोरेट्स के लिए अवसर में तब्दील कर दिया है।

मजदूरों के चबालिस कानूनों को खत्म करने, सार्वजनिक क्षेत्र को बेचने के साथ ही किसान विरोधी तीन कानूनों को पारित करने से यह साबित हो गया है कि ये सरकार मजदूर,कर्मचारी व किसान विरोधी है।

यह सरकार लगातार गरीबों के खिलाफ कार्य कर रही है। सरकार के इन निर्णयों से अस्सी करोड़ से ज़्यादा मजदूर व किसान सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। सरकार फैक्टरी मजदूरों के लिए बारह घण्टे के काम करने के आदेश जारी करके उन्हें बंधुआ मजदूर बनाने की कोशिश कर रही है।

आंगनबाड़ी, आशा व मिड डे मील योजनकर्मियों के निजीकरण की साज़िश की जा रही है। नई शिक्षा नीति से योजनकर्मी बर्बाद हो जाएंगे। उन्हें वर्ष 2013 के पैंतालीसवें श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार नियमित कर्मचारी घोषित नहीं किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: