हमीरपुर 31 मई, 2020। प्रदेश का सियासी इतिहास साक्षी गवाह है कि जब-जब बड़ी जन उम्मीद से प्रदेश में बीजेपी सरकार को चुना गया है, तब-तब यह सरकार जन भावनाओं पर कभी खरी नहीं उतरी है। कभी यह सरकार अढाई साल चली तो 1998 में जुगाड़ से बनी इस सरकार के 8 विधायक हफ्तों अपनी ही सरकार को आरोपित करते हुए धरने पर बैठे रहे।
यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। राणा ने कहा कि वर्तमान में गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी बीजेपी सरकार अब अपनों के रडार पर है, जिसको लेकर कांगड़ा में बीजेपी के असंतुष्टों व रुष्टों ने मसौदा तैयार करने की शुरुआत भी कर दी है।
इसकी अगुवाई सांसद व कभी प्रदेश सरकार में नं. 2 माने जाने वाले नेता ने की है। यह सब किसके इशारे पर हुआ है और यह नेता किस बीजेपी गुट के सेना नायक माने जाते हैं, यह किसी से छुपा नहीं है।
यह वही गुट है जिसकी आंखों की किरकिरी जयराम सरकार शुरू दिन से ही रही है।
मामला केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव बनाने का हो या बीजेपी के कार्यकर्ताओं में खलबली मचाकर अपनी ही सरकार के सिहांसन को धराशायी करने की साजिश हो, यह बीजेपी का विशेष गुट प्रदेश में इसके लिए हमेशा सक्रिय रहा है और अब हेल्थ विभाग में पूर्व निदेशक की कथित ऑडियो क्लिप वायरल होने व बीजेपी चीफ राजीव बिंदल के इस्तीफे के बाद इस गुट ने सरकार के खिलाफ मुखर हो कर मोर्चा खोल दिया है।
राणा ने कहा कि हालांकि हाशिए पर पड़े इन नेताओं ने हवाला कार्यकर्ता व क्षेत्र की अनदेखी का दिया है, लेकिन वास्तव में अपनी ही सरकार में उपेक्षित इन नेताओं को सत्ता सुख के चैन नहीं आ रहा है, जिसके चलते अब यह अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर हो रहे हैं।
मामला पत्र बम का हो या हेल्थ विभाग में चले लगातार भ्रष्टाचार का हो सरकार जनता व अपने लोगों के विरोध से घिरती जा रही है।