हमीरपुर। राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कहा है कि सवाल यह है कि लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा से अगर आम जन को लगातार नुकसान हो रहा है तो फिर सरकार और सिस्टम का लोकतंत्र में क्या काम है?
उन्होंने कहा कि जनादेश के बहुमत का जितना बड़ा दुरुपयोग बीते 6 सालों में हुआ है उतना दुरुपयोग आजाद भारत के इतिहास में कभी किसी सत्ता ने नहीं किया है। गरीब और वंचित लोगों का जन जीवन सरकार की हठधर्मिता व सिस्टम को व्यक्तिगत एजेंडे पर चलाने की जिद्द के कारण निरंतर संकटों से घिर रहा है।
सत्ता, झूठ व मार्केटिंग के आधार पर चल रही है। जिसमें बीजेपी तो विकसित हो रही है, लेकिन आम जन जीवन के विकास पर ग्रहण लग चुका है। जनता को शिक्षा, चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाओं से अवाजार होना पड़ रहा है। मेक इन इंडिया के नारे को नया जुमला साबित किया है।
पढ़े-लिखे नौजवानों की स्किल व योग्यता निरंतर कुंठित हो रही है। दलितों को आरक्षण व सब्सिडी के नाम पर झुनझुना पकड़ाया जा रहा है। देश में सरकारी संस्थानों की नौकरियों को निगलने की नई साजिश सत्ता के दम पर हो रही है।
धारणा व जुमलों के स्तर पर बेशक सरकार लोक कल्याणकारी राज्य के जुमले गढ़ रही है। किसी के लिए भी यह कल्पना करना मुश्किल है कि प्रगतिशील भारत के सत्ता के जुमलों के बीच 45 करोड़ से अधिक भारतीय अशिक्षित हैं। 42 करोड़ जनता पीने के साफ पानी से वंचित है।
40 करोड़ देशवासियों को साधारण चिकित्सा भी उपलब्ध नहीं है। देश के 51 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। ऐसे में बीजेपी सरकार के लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा सही प्रतीत होती है। राणा ने कहा कि बीजेपी के सत्ताकाल में सब्सिडी के नाम पर धोखाधड़ी अब देश और प्रदेश में किसी से छुपी नहीं है।
दुनिया में सस्ते हुए तेल का लाभ भारत में सिर्फ तेल कंपनियों को मिला है, जबकि इस पर असली हक आम आदमी का था। उन्होंने कहा कि डीजल और पेट्रोल से सरकार को इतना टैक्स आता है कि यदि वह टैक्स हटा लिया जाए तो आम आदमी को किसी सब्सिडी की आवश्यकता नहीं रहेगी।
सरकार ने एक सिस्टम विकसित कर लिया है कि सरकार टैक्स पर टैक्स लगाकर एक हाथ से देने का जो नाटक कर रही है, उसे तुरंत टैक्स और महंगाई बढ़ाकर गरीबों के हल्क से निवाला छीनने का इंतजाम भी तुरंत कर रही है।
विपक्ष में रहते हुए एफडीआई का विरोध करने वाली बीजेपी ने अब देश को प्राइवेट कंपनी बनाने की ठान ली है। जिसके चलते साधन व शक्ति संपन्न लोग देश को दोनों हाथों से लूटने में लगे हैं। विडंबना यह है कि सत्ता और कारोबारियों की जुगलबंदी औद्योगिक घराने उनको फायदा दिया जा रहा है और देश के सिस्टम को पंगु बनाकर रख दिया है।