शिमला, 18 मई, 2020। पूर्व मंत्री एवं एआईसीसी सचिव सुधीर शर्मा ने आज जारी एक बयान में कहा की कोविड-19 महामारी दुनिया भर में कहर ढा रही है और इस भयानक वायरस का सबसे बुरा शिकार मानव के अलावा वैश्विक अर्थव्यवस्था रही है।
भारत इसके प्रभावों से बहुत दूर नहीं है जो पहले से ही मोदी सरकार की पिछली नीतियों जैसे विमुद्रीकरण और जीएसटी के कारण गर्त में है। इस भयावह वायरस के आने से पहले ही भारतीय लघु व्यापार मुद्रा की तरलता से जूझ रहे थे, दैनिक वेतन भोगी संकट में थे और विशिष्ट क्षेत्र जैसे पर्यटन, मनोरंजन और विमानन जैसे क्षेत्रों की भी बुरी हालत थी
कोविड-19 महामारी और लोक डाउन के आने से पहले ही हम पूंजी निर्माण के निम्न स्तर से पीड़ित थे। 20 लाख करोड रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की लंबी गाथा (जो एक महाकाव्य की तरह सभी टीवी चैनल पर 5 दिन के लिए चलाई गई), इनमें से अधिकतर पहले ही तरलता और गारंटी की समस्या से जूझ रहे हैं और इसमें मांग को कोई अभिमान नहीं दिया गया है।
8 क्षेत्रों में सुधार करते हुए प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर भारत योजना महामारी के समय में एक ऐसी योजना है जिसके वित्त पोषण के स्रोत अभी भी सभी के लिए एक रहस्य हैं।
कोविड-19 के समय में सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए एमएसएमई क्षेत्र, जो कि अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी भी माना जाता है को तैयार करने के लिए पैकेज में 6 महत्वपूर्ण उपाय बताए गए हैं।
तनाव से जूझ रहे एमएसएमई सेक्टर के लिए 3 लाख तक के गारंटी बिना ऋण और 45 दिनों के भीतर पुनः राशि का पूर्ण भुगतान इन व्यवसायियों का कोई बड़ी मदद करने नहीं जा रहे हैं।
हालांकि यह देखा जाना बाकी है कि क्षेत्र की तात्कालिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए वर्तमान स्थिति में क्रेडिट का फ्लो कैसे हो पाता है? मेरे विचार में सरकार इस पर गंभीर नहीं है।
देश में 30 सालों के बाद प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार के बाद किसी अन्य दल ने पूर्ण बहुमत चुनावों में पाया है परंतु सरकार और उसके आर्थिक पैकेज ने यह दर्शा दिया है कि उनकी नीतियां और विचार दिशाहीन है और हमें अर्थव्यवस्था के और बुरे दिनों से गुजरना पड़ेगा।
दशकों से कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी रही है परंतु इस क्षेत्र को अस्थिर करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम को संशोधित करने के बजाय इसे खत्म कर दिया ।