राज्य सरकार के प्रयासों से विदेशों में फंसे हिमाचलवासियों की हुई वापसी सुनिश्चित

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शिमला। कोविड-19 महामारी के दौरान विदेश में विभिन्न स्थानों पर फंसे लोगों को राहत पहुंचाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा उठाए गए सबसे प्रभावी उपायों में से एक वन्दे भारत मिशन के तहत उड़ानों का संचालन है।

हिमाचल प्रदेश सरकार ने विश्व के 69 देशों में फंसे, जिनमें संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त राज्य अमरिका, इंग्लैंड, आॅस्ट्रेलिया, रूस, किर्गिस्थान, युक्रेन आदि देश शामिल हैं, से 713 हिमाचलियों को अभी तक वापिस लाया है।

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने इस कार्य को पूरा करने में विशेष रूचि ली तथा मुख्य सचिव अनिल खाची ने इस कार्य की प्रभावी निगरानी की। राज्य नोडल अधिकारी ओंकार शर्मा, पूर्व आवासीय आयुक्त संजय कुण्डू, नई स्थित वर्तमान आवासीय आयुक्त रजनीश इस कार्य में शामिल हैं।

आवासीय आयुक्त कार्यालय नई दिल्ली ने राज्य सरकार द्वारा सौंपे गए इस कार्य में कामयाबी सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास किए। उप आवासीय आयुक्त विवेक महाजन इस कार्य के लिए नोडल अधिकारी बनाए गए थे, जिन्होंने विदेश मंत्रालय के साथ समन्वय स्थापित करके विभिन्न दूतावासों के साथ बातचीत की तथा विभिन्न देशों में यात्रियों के साथ व्हाट्सऐप ग्रुपों के माध्यम से संवाद किया।

उन्होंने उड़ान समय, सहायता डैस्क, जरूरी दस्तावेज आदि के बारे में भी उनका मार्गदर्शन किया तथा उन्हें वह सभी जानकारी उपलब्ध करवाई, जो उनके भारत आने के लिए आवश्यक थी। हिमाचलवासियों को वापिस लाने वाली उड़ाने दिल्ली, चण्डीगढ़ और अमृतसर हवाई अड्डों पर उतरीं।

राज्य सरकार के अधिकारियों की एक टीम दिल्ली, चण्डीगढ़ और अमृतसर हवाई अड्डों में उन्हें लेने के लिए तैनात थी। इस अभियान के नेतृत्व उप आवासीय आयुक्त ने किया जिन्होंने दिल्ली में जिला मेजिस्ट्रेट और दिल्ली, चण्डीगढ़ और अमृतसर के नोडल अधिकारियों के साथ समन्वय किया।

मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार दिल्ली और पंजाब के हवाई अड्डों पर वहां की सम्बन्धित सरकारों द्वारा यात्रियों की चिकित्सीय जाॅच की गई।

इसके बाद उन्हें हिमाचल के सहायता डैस्क को सौंपा गया तथा उन्हें एक प्रमाण पत्र दिया गया, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेखित था कि उनकी चिकित्सीय जाॅच की गई है तथा वह आगे की यात्रा के लिए स्वस्थ पाए गए हैं।

सहायता डैस्क का काम दिल्ली या पंजाब आदि सरकारों से लोगों को लेना और जरूरत पड़ने पर उन्हें टैक्सी किराए पर लेकर आगे की यात्रा की सुविधा प्रदान करना था।

आवासीय आयुक्त कार्यालय द्वारा सम्बन्धित जिलों में क्वारटीन की व्यवस्था करके सम्बन्धित जिला प्रशासन के साथ समन्यवय स्थापित किया गया। जिला प्रशासन को आवासीय आयुक्त कार्यालय द्वारा वाहनों की आवाजाही और विवरण आदि के बारे विधिवत जानकारी दी गई।

प्रारम्भ में विदेश मंत्रालय/दूतावास हिमाचल के लोगों को राज्य सरकार को सौंपने का अनिच्छुक था, क्योंकि वह हिमाचल सरकार से वह लिखित में आश्वासन चाहते थे कि हिमाचल के लोगों को क्वारटीन के लिए हिमाचल वापिस ले जाया जाएगा।

इसके तुरन्त बाद मानक संचालन प्रक्रिया व जारी किए गए ताकि हिमाचल के लोगों को कोई परेशानी पेश न आए।

मानक संचालन प्रक्रिया जारी होने के उपरान्त अधिक से अधिक हिमाचली लोगों की वापसी सुनिश्चित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था क्योंकि पूरे देश से एयर इण्डिया की उड़ानों में सीटों की भारी मांग थी हालांकि विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव और नोडल अधिकारी के ठोस प्रयासों और मद्द के पश्चात लगभग सभी हिमाचल निवासियों को वापिस लाने में कामयाबी हासिल हो सकी।

दुबई में फंसे 40 लोगों की सूची आवासीय आयुक्त कार्यालय को प्राप्त हुई थी। नोडल अधिकारी व उप आवासीय आयुक्त दिल्ली में दुबई के लोगों से बातचीत करते हुए एक व्हाट्सऐप्प ग्रुप बनाए गए तथा दुबई में फंसे लगभग 250 लोगों की सूची तैयार की गई।

इस मामले को विदेश मंत्रालय/दूतावास कार्यालय से लगातार उठाया गया परिणामस्वरूप संयुक्त अरब अमीरात/मध्य पूर्व में फंसे 213 लोग दिल्ली, अमृतसर, चण्डीगढ़ के विभिन्न हवाई अड्डों पर पहले ही पहुंच चुके थे।

इसी प्रकार नेपाल में फंसे आठ लोगों को लाने के लिए उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत जिला के जिला मेजिस्ट्रेट से बात की गई जिन्हें नेपाल सीमा से एक बस में बैठाकर पाॅंवटा साहिब भेजा गया, जहां पर आवासीय आयुक्त कार्यालय द्वारा उपायुक्त सिरमौर से पहले ही बातचीत करके उन सभी को क्वारंटीन किया गया।

इसी प्रकार अटारी सीमा पर पाकिस्तान में फंसे हिमाचलियों को वापिस लाने का मामला पुलिस से उठाया। आधिकारिक पत्र के साथ अधिकारियों की एक टीम अटारी सीमा पर भेजी गई है तथा सभी औपचारिकताएं पूरी करने के उपरान्त उन्हें संस्थागत क्वारंटीन के लिए हिमाचल भेजने के टैक्सी सुविधा शुरू की।

मालद्वीप में फंसे लोग केरल और तमिलनाडु पहुंचे थे। यह मामला केरल और तमिलनाडु की सरकार के समक्ष उठाया गया तथा उन्हें केरल और तमिलनाडु में संस्थागत क्वारंटीन रखा गया था।

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