हमीरपुर। देश और प्रदेश में कोविड-19 के बचाव के लिए लागू लॉकडाउन से पैदा हुई विषम आर्थिक स्थितियों ने आम नागरिकों का जन जीवन पूरी तरह प्रभावित किया है।
महामारी के साथ जीना सीख रही जनता को रोजमर्रा की आवश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिए भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि सरकार ने अभी तक आर्थिक संकट से जूझ रही जनता के लिए राहत की कोई सटीक घोषणा नहीं की है।
यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। राणा ने कहा कि पहले से आर्थिक संकट के चुंगुल में फंसी जनता को अब बदहाल हो चुकी परिस्थितियों में सरकार की राहत देने की योजना क्या है, इस पर अभी तक कोई स्थिति साफ नहीं है।
लॉकडाउन ने प्रदेश के लाखों लोगों के जीवन में आर्थिक तबाही मचा कर रख दी है। असंगठित क्षेत्र के कामगार, दिहाड़ीदार मजदूर, अनियमित अर्थव्यवस्था में काम करने वाले मजदूरों के साथ लाखों लोग ऐसे हैं, जिनका रोजगार लॉकडाउन में तबाह हुआ है और अब वह आर्थिक तनाव में घर बैठे हुए हैं।
सरकार के अपने आंकड़े बयान करते हैं कि लॉकडाउन के दौरान 250 से ज्यादा लोग आत्महत्या कर चुके हैं जबकि गैर-सरकारी संस्थाओं के आंकड़ों पर भरोसा करें तो यह संख्या हजारों में पहुंच चुकी है।
यह दीगर है कि आत्महत्या कर चुके लोगों की मौत से पिंड छुड़ाने के लिए कानूनन उनकी मौत के लिए अन्य कारणों को जिम्मेदार बता कर लीपापोती कर ली गई है। समाज में पैदा हो रही इस घातक स्थिति से निपटने के लिए तुरंत क्या किया जा सकता है, इस पर शायद सरकार अभी सोच ही नहीं रही है।
वर्तमान के संकटकाल में राज्य सरकार द्वारा किराया बढ़ाना संकट में फंसी जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। छोटे व बड़े व्यापारी, नौकरी-पेशा बेरोजगार, पहले से बेरोजगारी से जूझ रहे युवा, मध्यमवर्गीय व कामगार मजदूरों के साथ अन्य कई वर्ग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
आम जनता के लिए कोविड-19 के बीच लगातार बढ़ रही मंहगाई व महामारी के बाद अब सत्ता की तानाशाही व प्रताडऩा असहनीय हो रही है। राणा ने कहा कि महामारी का दौर जनजीवन की रक्षा का दौर है, लेकिन इस कठिन दौर में सरकार के कठोर तुगलकी फरमान व फैसलों ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है।