हमीरपुर। प्रदेश का हेल्थ सिस्टम पूरी तरह से चरमरा चुका है। इलाज की दरकार में लाचार मरीज प्रदेश से बाहर महंगे इलाज के लिए मजबूर हैं। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है।
राणा ने कहा कि आलम यह है कि भ्रष्टाचार से सराबोर स्वास्थ्य विभाग में दलालों व माफियों के बोलबाले ने सिस्टम को पूरी तरह पैरालाइज्ड करके रख दिया है। सरकार का स्वास्थ्य विभाग की ओर न कोई ध्यान है और न ही हेल्थ सिस्टम पर कोई पकड़ है।
चंबा, हमीरपुर, ऊना, मंडी और कांगड़ा के मरीज टांडा मेडिकल कॉलेज की बदहाली से परेशान हैं, लेकिन सरकार मूक और मौन अवस्था में सब कुछ देखते समझते हुए मूक दर्शक बनी हुई है। टांडा मेडिकल कॉलेज स्टाफ के टोटे से लगातार जूझ रहा है।
पर्याप्त स्टाफ न होने के कारण मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। राणा ने कहा कि टांडा मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा बार-बार की गुहार के बावजूद वहां सरकार स्टाफ देेने में पूरी तरह से नाकाम रही है।
उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि टांडा मेडिकल कॉलेज 1 हजार के करीब स्वीकृत पदों पर कोई स्टाफ मौजूद नहीं है। कमोवेश यही बदत्तर स्थिति आईजीएमसी में भी बनी हुई है। टांडा मेडिकल कॉलेज में 80 के करीब डॉक्टरों के पद खाली पड़े हैं। जिस कारण से मेडिकल कॉलेज बद से बदत्तर हालात में पहुंच चुका है।
आलम यह है कि छोटे-छोटे मेडिकल टेस्ट करवाने के लिए टांडा मेडिकल कॉलेज में मरीजों को हफ्तों का समय लग रहा है। स्टाफ के भारी टोटे के चलते सुपर स्पेशलिटी यहां एक तरह से बंद पड़ी है। हार्ट के मरीज लगातार चंडीगढ़ पीजीआई रेफर किए जा रहे हैं।
इको और एंजियोग्राफी तक टांडा मेडिकल कॉलेज में नहीं हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के इस लापरवाह व लचर रवैये के कारण इलाज न मिल पाने के कारण यहां कोरोना से ज्यादा मरीज काल के ग्रास में समा रहे हैं। जिसकी सीधी जवाबदेही व जिम्मेदारी जयराम सरकार की है।
राणा ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि टांडा मेडिकल कॉलेज 2000 से 2500 तक के मरीज रोजाना अस्पताल पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर सड़क शिक्षा व स्वास्थ्य की सुविधाएं देने वाली सरकार के राज में स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा पूरी तरह चरमरा गया है।
अधिकांश जनता इलाज के अभाव में मरने को मजबूर है जबकि बाकि लोग निजी अस्पतालों में महंगे इलाज के कारण लुटने को लाचार है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की बद से बदतर हालात को देखते हुए लग रहा है कि मानों प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं है।