हमीरपुर। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि केंद्र सरकार झूठ की बुनियाद पर खड़ी है, जिसके झूठ की एक के बाद एक नई सीरिज रिलीज हो रही है। ऐसा तभी होता है, जब किसी के तारे गर्दिश में होते हैं।
किसानों के आंदोलन से छटपटाई केंद्र सरकार ने सिख समुदाय से सरकार के अटूट संबंधों को लेकर ई- पुस्तिका लांच कर सहानुभूति बटोरने का कुप्रयास किया है, लेकिन झूठी व भ्रामक जानकारी देकर अपनी खिल्ली उड़ाई है।
पूर्व यूपीए सरकार ने पाकिस्तान स्थित श्रीकरतारपुर साहिब के दर्शनों के लिए दूरबीन की सुविधा देशवासियों के लिए प्रदान की थी, लेकिन ई-पुस्तिका में दूरबीन सहित अब कारिडोर खोलने की उपलब्धि सरकार अपना बताकर सफेद झूठ बोल रही है, जबकि कारिडोर खुलवाने में भी पंजाब सरकार व वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू का हाथ है।
जारी प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों के साथ हरियाणा, महाराष्ट्र व तमिलनाडु आदि अन्नदाता राज्योंं के लाखों किसान कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत हैं।
उनकी आवाज़ को दबाने के लिए भाजपा ने देश के सबसे बड़े अन्नदाता राज्य के रूप में पहचाने जाने वाले पंजाब के किसानों को खालीस्तानी, पाकिस्तानी, आतंकवादी, माओवादी, नक्सली से लेकर टुकड़े- टुकड़े गैंग कहकर संबोधित किया तथा जाति, धर्म व राज्यों के दायरे में आंदोलनरत किसानों को बांटने की असफल कोशिशें की, लेकिन बैकफुट पर आने पर सरकार ने सिख समुदाय के साथ अपने अटूट संबंधों को लेकर भ्रामक ई-पुस्तिका सोशल मीडिया के जरिए शेयर कर दी।
उन्होंने हैरानी जताई कि रेलवे के माध्यम से यात्रा करने वाले विदेशी भारतीयों सहित देश के करोड़ों लोगों को ई-पुस्तिका को ई-मेल के जरिए भेजा है, जोकि किसी भी व्यक्ति की निजता का दुरुपयोग करना है।
उन्होंने सवाल किया कि सिख समुदाय से अब सहानुभूति लेने के चक्कर में सरकार भ्रामक जानकारी से कैसी पब्लिसिटी बटोरना चाहती है, जबकि भाजपा के लोगों की अशोभनीय भाषा ने पूरे देश के किसानों को झकझोर कर रख दिया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा का एक ही सिद्धांत है कि कोई अपनी आवाज उठाए तो उसे खालीस्तानी, पाकिस्तानी, आतंकवादी, माओवादी, नक्सली से लेकर टुकड़े-टुकड़े गैंग कहकर बदनाम किया जाए।
सत्ता में आने के बाद से ही भाजपा व सरकार ने छात्रों, लेखकों, बुद्धिजीवियों से लेकर नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करने वालों को ऐसे शब्दों का प्रयोग कर अपमानित किया है। अब अन्नदाताओं को ऐसे शब्द कहे जा रहे हैं।