शिमला। कोरोना के दृष्टिगत लगे लाॅकडाउन के कारण, जब लाखों लोग जो अपनी नौकरी खो चुके थे, अपनी आजीविका को बनाए रखना मुश्किल हो रहा था और अपने घर लौटने के लिए उत्सुक थे, हिमाचल प्रदेश सरकार ने अन्य राज्यों से सभी हिमाचलियों को वापस लाने के लिए पर्याप्त संख्या में विशेष ट्रेनों, बसों के माध्यम से उनकी प्रदेश वापसी सुनिश्चत की।
लगभग 1.40 लाख फंसे लोग राज्य वापस लाए
देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे राज्य के लोगों को सहायता देने के उद्देश्य से, राज्य सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों से प्रदेश वापसी का अभियान भी चलाया।
राज्य सरकार ने 25 मई, 2020 तक विभिन्न प्रावधानों के माध्यम से 1,40,104 लोगों को वापस राज्य में लाया है। कांगड़ा के लगभग 61556, हमीरपुर के 16292 लोग, सोलन के 15728 लोग, मंडी के 10306 लोग, शिमला के 7274 लोग, ऊना के 6599 लोग, सिरमौर के 6109 लोग, बिलासपुर के 6071 लोग, चंबा के 5337 लोग, कुल्लू के 3739 लोग, किन्नौर के 870 लोग और लाहौल-स्पीति के 223 लोग विभिन्न राज्यों से वापस लाए गए हैं।
5474 व्यक्तियों कोे ट्रेनों के माध्यम से प्रदेश वापस लाया गया
बाहरी राज्यों में फंसे हिमाचल प्रदेश के लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए, केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के अनुरोध पर विशेष ट्रेनें भी चलाईं, जिसके माध्यम से राज्य में लगभग 5474 व्यक्ति पहुंचे हैं।
एक विशेष ट्रेन 26 मई को दिल्ली से ऊना पहुंची जिसमें 271 लोग सवार थे। 25 मई को चेन्नई सेंट्रल, तमिलनाडु से पठानकोट के चक्की बैंक रेलवे स्टेशन पर लगभग 211 लोग पहुंचे। 24 मई को दो विशेष ट्रेनें, अहमदाबाद से एक, ऊना रेलवे स्टेशन पर 545 व्यक्ति और दूसरे व्यक्ति चक्की बैंक रेलवे स्टेशन, महाराष्ट्र के पठानकोट से 580 व्यक्तियों को लेकर पहुंची। 23 मई को त्रिवेंद्रम, केरल से पठानकोट होते हुए हिमाचल प्रदेश के 35 लोगों को लेकर एक ट्रेन आई।
लगभग 118 व्यक्तियों को हैदराबाद से वापस लाया गया और 20 मई को ट्रेन के माध्यम से पठानकोट पहुंचे। पुणे से ऊना के लिए एक और विशेष ट्रेन 19 मई को लगभग 617 व्यक्तियों को लेकर आई और मुंबई से ऊना रेलगाड़ी 18 मई को पहुंची, जिसमें 697 व्यक्ति थे।
इसी तरह 18 मई को बाहर फंसे हुए हिमाचलियों को ले कर आने वाली तीन रेलगाड़ियां राज्य में वापिस पहुंची, जिसमें 259 व्यक्ति चेन्नई से पठानकोट पहुंचे, 589 गोवा से ऊना पहुंचे और 697 मुंबई से पहुंचे।
राज्य के लगभग 1486 व्यक्तियों को थिविम, मडगांव करमाली (गोवा) से ऊना के लिए एक विशेष ट्रेन के माध्यम से गोवा से प्रदेश वापस लाया गया, जो 15 मई को ऊना पहुंची। नागपुर से पठानकोट तक 78 व्यक्तियों को ले जाने के लिए विशेष ट्रेन की व्यवस्था की गई थी।
इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार के प्रयासों से हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों के माध्यम से भी राज्य के लोगों को वापिस लाया गया। राज्य के 140 छात्रों को वापस लाने के लिए हिमाचल सड़क परिवहन निगम की नौ बसों को परवाणू से कोटा भेजा गया।
चंडीगढ़ (ट्राइसिटी) में फंसे लोगों को सहायता भी दी गई, जिसके लिए बसों को बैचों में भेजा गया। ट्राई-सिटी क्षेत्र में फंसे 3500 से अधिक लोगों को चरणबद्ध तरीके से 144 बसों में वापस राज्य में लाया गया।
3 मई को पहले बैच में ट्राई-सिटी क्षेत्र में फंसे 1314 व्यक्तियों को 51 बसों में वापस प्रदेश में लाया गया, जिसमें कांगड़ा जिले के 609 लोग, हमीरपुर जिले के 335 लोग, ऊना जिले के 132 लोग और चंबा जिले के 238 लोग शामिल थे।
4 मई को 49 बसों में दूसरे बैच को प्रदेश में लाया गया, जिसमें मण्डी जिला के 622 लोग, बिलासपुर जिले के 365 लोग, कुल्लू जिले के 191 और लाहौल-स्पीति जिले के 61 लोगों सहित 1239 लोगों को अन्य स्थानों से प्रदेश वापस लाया गया।
इसी प्रकार तीसरा बैच 5 मई को राज्य के पांच जिलों के 1006 व्यक्तियों को 44 बसों में ट्राइसिटी से वापस लाया गया, जिसमें शिमला जिले के 585, सोलन जिले के 150, सिरमौर जिले के 170, किन्नौर जिले के 89 और बिलासपुर जिले के 12 लोग शामिल थे।
यह देश के विभिन्न राज्यों में फंसे हुए हिमाचल के लोगों को राज्य में सुरक्षित वापस लाने का सबसे बड़ा अभियान था।
इन सभी वापस लाए गए लोगों की इन्फ्लुएंजा लक्षणों की जांच की गई और इसके बाद उन्हें होम क्वारन्टीन में रखा गया।
प्रदेश सरकार ने राज्य में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं और उन्हें आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा गया है और साथ ही सामाजिक शिक्षा के महत्व के बारे में सूचना शिक्षा संचार (आईईसी) सामग्री प्रदान की जा रही है।
इनके अलावा, हिमाचल प्रदेश के 29 निवासी, जिन्होंने विभिन्न उद्देश्यों के लिए लाॅकडाउन से पहले विभिन्न देशों की यात्रा की थी, उन्हें भी अन्य देशों से देश में वापस लाया गया है, जिनमें से 19 को दिल्ली में, पांच को केरल और पांच को पंजाब में रखा गया है।
इसके बाद क्वारन्टीन अवधि पूरी होने पर उन्हें हिमाचल प्रदेश वापस लाया