हमीरपुर। प्रदेश सरकार अब दूसरे जिलों के हकों व हितों को हड़पने पर आमादा हो रही है। जिससे क्षेत्रीय संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा गया है। यह बात राज्य कांगे्रस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में ठप्प पड़े विकास कार्यों के बीच अब हर छोटे-बड़े संस्थानों को जिला मंडी में खोलने को सरकार तरजीह दे रही है। राणा ने कहा कि सैन्य बाहुल्य जिला हमीरपुर में वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में हमीरपुर के समीप ताल क्षेत्र में आर्मी अकादमी खोलने के लिए भूमि का चयन हुआ था।
इस भूमि को देखने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वयं ताल क्षेत्र में गए थे और उन्होंने इस जमीन को हमीरपुर की संभावित सैन्य क्षमता को देखते हुए यहां आर्मी अकादमी खोलने के लिए हामी भरी थी, लेकिन सत्ता बदलते ही अब इस सैन्य अकादमी को जिला मंडी में खोले जाने की चर्चाएं सामने आई हैं।
उन्होंने कहा कि हालांकि यह पहला संस्थान नहीं है जिसे हमीरपुर से बदल कर मंडी ले जाया गया है। कमोवेश प्रदेश के कई जिलों में खुलने वाले संस्थानों को भी मंडी ले जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। राणा ने कहा कि हालांकि केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री एवं सांसद अनुराग ठाकुर का हमीरपुर गृह जिला है, लेकिन हमीरपुर के संस्थानों को मंडी ले जाने के मामले पर अनुराग ठाकुर भी चुप हैं।
इससे समझा जा सकता है कि या तो अनुराग ठाकुर अब हमीरपुर की परवाह ही नहीं कर रहे हैं या उनकी अपनी ही सरकार उनको नहीं सुन रही है। जिस कारण से हमीरपुर की जनता के हितों से निरंतर खिलवाड़ हो रहा है।
राणा ने कहा कि समझ में यह नहीं आता है कि हमीरपुर में भाजपा नेतृत्व इस मामले में चुप क्यों है। जब हमीरपुर प्रदेश को नेतृत्व दे रहा था और सरकार भी बीजेपी की थी, तब भी हमीरपुर को वह नहीं मिल पाया जिसका हकदार हमीरपुर था और अब वर्तमान में भी जब सरकार बीजेपी की है तो सारे संस्थानों को मंडी में खोलने की होड़ सी लगी है।
हमीरपुर को मिलने वाली आर्मी अकादमी को मंडी में खोले जाने से सैनिकों, पूर्व सैनिकों व उनके परिजनों के साथ समूचे हमीरपुर में सरकार के प्रति भारी आक्रोश पनपा है। बावजूद इसके हमीरपुर का बीजेपी नेतृत्व इस मामले पर पूरी तरह खामोश है।