शिमला। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर का हिमालय क्षेत्र में मौजूद औषधीय पौधों व जड़ी-बूटियों पर शोध व विकसित तकनीकों व उत्पादों से हिमाचल प्रदेश को बहुत लाभ हुआ है। संस्थान कोविड-19 की लड़ाई में भी अपना बहुमूल्य योगदान दे रहा है।
एससीआई मेगो इंटरनेशनल की रैंकिंग में सीएसआईआर के 38 संस्थानों में इस संस्थान को 9वां स्थान प्राप्त होने तथा हिमाचल प्रदेश के शोध संस्थानों में प्रथम स्थान पर होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह संस्थान अपनी तकनीकों को एमएसएमई के माध्यम से प्रदेश व देश मेें उद्यमिता को बढ़ावा दे रहा है।
उन्होंने कहा कि संस्थान ने कोविड-19 के लिए न केवल परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की व प्रतिदिन 500 से ज्यादा कोविड टेस्ट कर रहा है, बल्कि राज्य के टांडा, चंबा और हमीरपुर में मेडिकल काॅलेज के कर्मचारियों को कोविड-19 के परीक्षण के लिए आवश्यक उपकरण, उपभोग्य सामग्रियों और प्रशिक्षण के माध्यम से सहयोग भी कर रहा है।
उन्होंने खुशी जताई कि संस्थान ने अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर, हर्बल साबुन की तकनीक विकसित की और स्थानीय उद्यमियों के माध्यम से व्यापक स्तर पर इसका उत्पादन भी किया।
प्रवासी श्रमिकों और कोरोना योद्धाओं के लिए डिब्बाबंद भोजन का तैयार किया तथा जरूरतमंदों को भोजन की आपूर्ति के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर काम करने पर उन्होंने संस्थान की सराहना की। उन्होंने कहा कि कोविड-19 पर अनुसंधान कार्य मेें प्रदेश सरकार उनका पूरा सहयोग करेगी।
दत्तात्रेय ने कहा कि सगंध पौधों के क्षेत्र में ‘अरोमा मिशन’ के अन्तर्गत संस्थान ने हिमाचल प्रदेश को सगंध तेल के उत्पादन में एक अग्रणी राज्य बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
जंगली गेंदे से प्रति वर्ष सगंध तेल उत्पादन लगभग 6.5 टन हो रहा है जिससे 5.19 करोड़ रुपये आय अर्जित हुई और 861 किसान परिवार लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि संस्थान ने देश में पहली बार हींग की फसल को उगाने की शुरूआत की। यह फसल एक गेम चेंजर साबित होगी।
उन्होंने कहा कि लाहौल में लिलियम की खेती को शुरू किया गया, जिससे किसानों को पारंपरिक नगदी फसलों की अपेक्षा 3-5 गुना अधिक आय हो रही है।