हमीरपुर। राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि लग रहा है कि मानव भारती विश्वविद्यालय घोटाले में संलिप्त कुछ लोगों को सरकार बचाने के प्रयासों में लगी है।
नई जानकारी निकल कर यह आई है कि अब जांच में लगी एसआईटी की टीम को भी बदल दिया गया है। ऐसा लग रहा है कि करोड़ों के इस भ्रष्टाचार मामले में चर्चा में आई कुछ बड़ी मछलियों व मगरमच्छों के फंसने के खौफ से सरकार इस मामले को ठंडे बस्ते में डालना चाह रही है।
राणा ने सवाल खड़ा किया है कि अगर सरकार की नीयत व मंशा भ्रष्टाचार के मामले को लेकर साफ-पाक है तो फिर सरकार इस मामले की जांच ईडी व सीबीआई को सौंपने से गुरेज क्यों कर रही है?
भ्रष्टाचार के इस मामले में पीडि़त व प्रताडि़त कई युवाओं ने जानकारी दी है कि इस मामले का शिक्षा माफिया सरगना ने अपने परिवार व भ्रष्टाचार से कमाए करोड़ों का धन जांच के खौफ से विदेशों में भेज दिया है व इसी बीच भ्रष्टाचार से कमाए करोड़ों के अकूत खजाने को भी विदेश भेजा है।
स्वाभाविक तौर पर यह मामला ईडी और सीबीआई की जांच का बनता है, लेकिन प्रदेश सरकार हाथ पर हाथ धरे इस मामले में अभी तक तमाशबीन बन कर बैठी है।
स्टेट रेगुलेटरी कमीशन के तहत आती इस युनिवर्सिटी के खिलाफ रेगुलेटरी कमीशन भी कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है। मानव भारती युनिवर्सिटी के बाद राजस्थान में माधव युनिवर्सिटी बनाकर इस माफिया सरगना ने भ्रष्टाचार के अलग-अलग तरीके अपनाते हुए लाखों परिवारों के हितों पर डाका डाला है।
मानव भारती युनिवर्सिटी से बेची गई कई डिग्रियों पर ड्राइवरों तक के साईन करवाए गए हैं। 2018 में महाराष्ट्र पूणे के सांसद ने मानव भारती युनिवर्सिटी से जारी हुई 2 जाली डिग्रियों का मामला लोकसभा में उठाया था, लेकिन अफसोस यह है कि हिमाचल के हितों की पैरवी का दावा करने वाले प्रदेश के सांसद इस फर्जीवाड़े पर पूरी तरह खामोश हैं।