शिमला। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश के ग्यारह जिलों के जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर मजदूरों द्वारा जोरदार प्रदर्शन किये गए। इसमें हज़ारों मजदूर शामिल हुए।
मजदूर संगठन सीटू के नेतृत्व में शिमला के डीसी ऑफिस पर जोरदार प्रदर्शन किया गया। इसके बाद डीसी शिमला के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया जिसमें मांग की गई कि श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों पर रोक लगाई जाए।
चबालीस श्रम कानून के बदले चार लेबर कोडों की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगाई जाए। पचास वर्ष की आयु अथवा तीस वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करने वाले नियमित सरकारी कर्मचारियों की छंटनी व जबरन रिटायरमेंट पर रोक लगाई जाए।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि भारत सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन किये जा रहे हैं। श्रम कानूनों में किये गए ये बदलाव पूर्णतः मजदूर विरोधी हैं। इन बदलावों से भारत व हिमाचल प्रदेश के करोड़ों मजदूरों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
इनसे देश के मजदूर वर्ग का लगभग तिहत्तर प्रतिशत हिस्सा श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएगा। देश के चबालीस श्रम कानूनों को खत्म करके केवल चार लेबर कोड़ों में तब्दील किया जाएगा जिस से नियोक्ताओं को फायदा होगा व मजदूरों का शोषण और ज़्यादा गहरा होगा।
इसकी कल्पना इसी बात से की जा सकती है कि इन्हीं बदलावों की पृष्ठभूमि में हिमाचल प्रदेश में हुए श्रम संशोधनों से अकेले हिमाचल प्रदेश में फैक्ट्रीज एक्ट में बदलाव से प्रदेश के पांच हज़ार दो सौ पंजीकृत कारखानों में कार्य करने वाले साढ़े तीन लाख मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे।