शिमला 30 मई, 2020। मशोबरा ब्लॉक के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इन दिनों काफल पक कर तैयार हो गया है । विशेषकर जनेडघाट, कमहाली , बलदेआं, कोटी, शलईल, नोंवा, सकोड़ी बीणू इत्यादि गांव के लोग जंगलों में काफल को चुनने में व्यस्त हैं।
काफल के पेड़ काफी ऊंचे होते है । परंतु लोग अपनी जान को जोखिम मे डालकर काफल का एक एक दाना बड़े चाव से चुनकर बेग में भर कर घर लाते हैं।
आर्थिक तौर पर भी यह फल वर्तमान लोगों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो रहा है और मार्किट में काफल के फल को बड़े चाव के साथ खरीदते हैं ।
बता दें कि काफल एक जंगली फल है जोकि सभी औषधीय गुणों से भरपूर है ।
यह फल हिमाचल प्रदेश सहित हिमालय के अन्य क्षेत्रों में जंगली तौर पर पाए जाने वाला एक सदाबहार पेड़ है जोकि कई औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण शरीर की प्रतिशोधक क्षमता को बढ़ाने में बहुत सहायक होता है ।
काफल के पेड़ 1000 से 2000 मीटर की ऊंचाई में पाए जाते है । ।यह फल रस से भरपूर होता है तथा इसका स्वाद खटटा-मिठा होता है।
आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ विवेक कंवर के अनुसार काफल में विटामिन्स, आयरन व एंटी ऑक्सीडेंटस प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
इसके अतिरिक्त काफल में कई प्रकार के प्राकृतिक तत्व जैसे माईरिकेटिन और ग्लाकोसाइडस भी विद्यमान हैं।
काफल की पत्तियों में लावेन 4, हाईड्रोक्सी 3 पाया जाता है। काफल के पेड़ की छाल, फल तथा पत्तियां भी औषधीय गुणों से भरपूर मानी जाती हैं।
नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक , क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र उत्तर भारत स्थित जोगिन्द्र नगर डॉ अरूण चंदन का कहना है कि काफल जंगल में पाए जाने वाला एक विशेष मौसमी फल है।
औषधीय गुणों से भरपूर यह फल शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। इस फल के सेवन से जहां कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है।