हमीरपुर। राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि देश और प्रदेश में बेरोजगारी का बढ़ा आंकड़ा चिंताजनक है। नोटबंदी के बाद शुरू हुआ नौकरी छूटने का सिलसिला अब कोरोना काल में अपने चरम पर पहुंच चुका है।
आंकड़े बताते हैं कि पिछले 45 सालों में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा बढ़ी है। औद्योगिक उत्पादन की विकास दर लगातार गिर रही है। कृषि दर में निरंतर गिरावट जारी है, जो कि देश के भविष्य के लिए खतरनाक संकेत है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों पर गौर करें तो बेरोजगारी के कारण युवा वर्ग में निरंतर अवसाद व तनाव बढ़ता जा रहा है। जिसका सीधा असर उनके परिवारों व समाज पर पड़ रहा है।
25 करोड़ लोग बेरोजगारी की चपेट में हैं, लेकिन गैर-सरकारी आंकड़ों पर भरोसा करें तो यह संख्या कहीं अधिक है। कोविड-19 के दौर में बेरोजगारी भी किसी महामारी से कम साबित नहीं हो रही है, जिसका सबसे ज्यादा असर शिक्षित नौजवानों पर देखा जा रहा है।
सरकार के अपने आंकड़े बताते हैं कि 52 फीसदी बी फार्मा शिक्षित व 68 फीसदी बीटेक शिक्षित बेरोजगार मारे-मारे फिर रहे हैं, जबकि कोविड-19 के दौर में जिन लोगों की नौकरी थी भी वह भी छूट चुकी है।
2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वायदा करके सरकार में आई बीजेपी अब युवाओं की क्षमता पर ही सवाल उठा रही है।
केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार युवाओं को रोजगार न मिलना उनकी योग्यता की कमी बताते हैं। जबकि ऑटो सेक्टर में आई जबरदस्त मंदी व बेरोजगारी को केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ओला और उबर को जिम्मेदारी ठहराती हैं वहीं देश में बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंची है। युवाओं को अपना करियर अंधेरों के गर्त में समाता दिख रहा है।