हमीरपुर। सत्ता में आने से पहले जो बीजेपी भूमि अधिग्रहण मामले पर फैक्टर वन और फैक्टर टू के तहत किसानों को मुआवजा देने की वकालतें करते नहीं थकती थी। वही बीजेपी सत्ता में आने के बाद अब मुआवजे के नाम पर चर्चा तक नहीं करना चाह रही है।
यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। राणा ने कहा कि प्रदेश की जनता व भुगतभोगी किसान गवाह हैं कि कांग्रेस के वीरभद्र कार्यकाल में बीजेपी विपक्ष में रहते हुए लगातार किसानों के मुआवजे के लिए धरना- प्रदर्शन का नाटक करती रही, लेकिन जब मुआवजा देने की अपनी बारी आई तो अब सरकार की बोलती पूरी तरह बंद है।
कांग्रेस कार्यकाल में जीरकपुर-मनाली फोरलेन मामले में मुआवजे का मुखिया बना अब सत्ता सुख के हिलोरे लेता हुआ मौन मुद्रा में है, तब किसानों के मुआवजे की पैरवी कर रहा यह मुखिया बात-बात पर धरना-प्रदर्शन करने की बात करता रहा है, लेकिन जैसे ही इस पूर्व सैन्य अधिकारी ब्रिगेडियर खुशहाल सिंह को सरकार ने सैनिक निगम का चेयरमैन बनाया, तो किसानों की आवाज उठाने वाले ब्रिगेडियर खुशहाल सिंह की आवाज भी सत्ता रसूख में दब कर रह गई है।
सत्ता के साथ समझौता होते ही और चेयरमैन का पद मिलते ही अब ब्रिगेडियर किसानों की सारी फिक्र भूल बैठे हैं। राणा ने कहा कि भारत सरकार की नोटिफिकेशन के मुताबिक लैंड एक्यूजिशन एक्ट में फैक्टर वन और फैक्टर टू के तहत किसानों को मुआवजा देना होता है, जो कि राज्य सरकार को तय करना होता है।
फैक्टर वन में किसानों को सर्कुलर रेट का दोगुना व फैक्टर टू में किसानों को सर्कुलर रेट का चार गुना मुआवजा नोटिफिकेशन के मुताबिक देना होता है। राणा ने बड़ा सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि सरकार जनता को बताए कि सत्ता में आने के बाद फैक्टर टू के तहत कितने किसानों को कितना मुआवजा दिया है?
उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि किसानों की वकालत करने वाली बीजेपी अब मुआवजे पर चर्चा ही नहीं करना चाहती है, क्योंकि बीजेपी ने किसानों को मुआवजे का झूठा झांसा देकर सत्ता हासिल कर ली है और जो सैन्य अधिकारी इस किसानों के मुआवजे की वकालत करते थे, उन्हें सैनिक निगम के चेयरमैन का पद मिल गया है।