हमीरपुर, 17 मई, 2020। भोटा कोविड सेंटर में कोरोना पॉजीटिव मरीज की मौत के मामले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि हालांकि इस मामले में मेडिकल एडमिनिस्ट्रेटिव स्तर पर लापरवाही के पुख्ता सबूत लगातार उजागर हो रहे हैं।
इसको लेकर सरकार ने मरीज की मौत के डेथ ऑडिट का आदेश भी दिया है, लेकिन भविष्य में इस तरह की कोई चूक न हो, सरकार व हेल्थ मिशन इसको सुनिश्चित करे, क्योंकि नागरिकों की जान से बढ़कर और कुछ नहीं है, इसलिए इस मामले में चूक की गुंजाईश के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
मानवीय या मशीनी चूक किसी हद तक बर्दाश्त हो सकती है लेकिन करोड़ों के बजट के बावजूद भी अगर मानवीय कोताही के कारण किसी की जान जाती है तो इस मामले की जवाबदेही प्रदेश सरकार की ही फिक्स होती है।
राणा ने कहा कि मौत के बाद अब भी हेल्थ मिशन निदेशालय व हमीरपुर मेडिकल कॉलेज प्रशासन के बयान लाईफ सपोर्ट सिस्टम वेंटिलेटर को लेकर विरोधाभासी हैं, लेकिन यह तय है कि मरीज की हालत जब खराब हुई थी तो उसे लाईफ सपोर्ट सिस्टम नहीं मिला है।
राणा ने कहा कि कोविड सेंटर भोटा में जो स्टाफ ड्यूटी दे रहा है, उसकी कर्तव्य निष्ठा पर तो कोई सवाल नहीं है लेकिन एक तरह से कैद अवस्था में मरीज को उपचार देने वाले स्टाफ को अगर बाहर से प्रशासनिक हेल्प नहीं मिलती है तो बिना हेल्प के वह निहत्थे सैनिक साबित हो रहे हैं।
इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है कि मरीज की हालत खराब होने के बाद कोविड सेंटर में तैनात डॉक्टरों ने मेडिकल प्रशासन से हेल्प मांगी है जो कि उसे नहीं मिली है और यही मेडिकल प्रशासनिक लापरवाही का सबसे बड़ा सबब व सबूत साबित हुआ है, जिसने प्रदेश सरकार की कोविड-19 को लेकर तैयारी व प्रशासनिक पकड़ का जनाजा निकाला है।
राणा ने कहा कि भविष्य में किसी भी नागरिक के साथ ऐसा न हो, सरकार सुनिश्चित करे और इस मौत के लिए प्रशासनिक स्तर पर जहां भी कोई चूक हुई हो सरकार उसकी जवाबदेही फिक्स करे।