पूर्व मुख्यमंत्री वीरभ्रद सिंह ने खत्म की थी ऊपरी व निचले हिमाचल की खाई
हमीरपुर। प्रचंड बहुमत से जीती बीजेपी सरकार में निचले हिमाचल की लगातार अनदेखी हुई है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। राणा ने कहा कि इस क्रम में सबसे ज्यादा नजर अंदाज हमीरपुर को बीजेपी की आपसी कशमकश के कारण किया गया है।
जयराम सरकार के इस सियासी पक्षपाती रवैये के कारण एक बार फिर ऊपरी व निचले हिमाचल की खाई का फासला बढ़ा है। सरकार की घोर उपेक्षा के कारण अब निचले हिमाचल का आम आदमी खुद को ठगा महसूस कर रहा है।
उन्होंने कहा कि 68 विधानसभा सीटों में से 35 के करीब विधानसभा सीटें निचले हिमाचल का प्रतिनिधित्व करती हैं। अकेले कांगड़ा जिला में 15 सीटें हैं, जहां सरकार की हैसियत कहीं दर्ज नहीं होती नजर आती है।
हालांकि ऊपरी व निचले हिमाचल में सियासी दरार डालने का बीज बीजेपी की पूर्व सरकारों ने ही बीजा है, लेकिन समूचे हिमाचल को सम दृष्टि से देखने वाले वीरभ्रद सिंह ने इस दरार को भरने का कई बार प्रयास किया है। वीरभद्र सरकार ने अपने कार्यकाल में कांगड़ा के महत्व को देखते हुए विधानसभा स्पीकर समेत 3 कैबिनेट मंत्री, 4 चेयरमैन व 2 सीपीएस व 1 आईटी सेल का चेयरमैन दिया था।
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभ्रद सिंह के कार्यकाल में निचले क्षेत्र का लगातार समग्र विकास जारी रहा। जिनमें हर विधानसभा क्षेत्र में एसडीएम कार्यालय, आईपीएच, पीडब्ल्यूडी के सब डिवीजन के साथ कई स्कूल व अस्पताल निचले क्षेत्र को दिए गए थे।
वीरभद्र सरकार ने ही धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाकर ऊपरी व निचले क्षेत्र को एक किया था। धर्मशाला में विहंगम विधानसभा परिसर भी वीरभ्रद सरकार ने समूचे हिमाचल को एक करने के लिए बनाया था, लेकिन बीजेपी की सरकार के सत्तासीन होते ही जहां निचले क्षेत्रों का विकास पूरी तरह ठप कर दिया गया, वहीं बीजेपी ने सत्ता में आते ही एक बार फिर निचले क्षेत्र की उपेक्षा का खेल शुरू कर दिया।
सत्ता की इस घोर सियासी उपेक्षा का आक्रोश कांगड़ा में बीजेपी के अंदर भी लगातार सुलग रहा है। जिस पर सत्ता व संगठन के चाबुक से अंकुश रखने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन बीजेपी में सुलग रहा आक्रोश अब तेजी से मुखर होता जा रहा है।
सत्ता की इस घोर उपेक्षा को लेकर आम जनता ही नहीं बीजेपी के अपने कार्यकर्ता भी घुटन और तनाव महसूस कर रहे हैं। सरकार की आपसी सियासी खुन्नस व घोर उपेक्षा के कारण अब कांगड़ा-चंबा के साथ निचले हिमाचल के नागरिक खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
हालांकि बीजेपी के बीच पत्र बम से शुरू हुई जंग अब रुष्टों व अंसतुष्टों की बैठकों तक जा पहुंची है। जहां अब बीजेपी ही बीजेपी के निशाने पर है।