हमीरपुर। एनआईटी हमीरपुर में डायरेक्टर विनोद यादवा के विरुद्ध अब एनआईटी प्रशासन एफआईआर दर्ज करवाए क्योंकि उनकी बर्खास्तगी के बाद अब यह साबित हो गया है कि विनोद यादवा एनआईटी में कथित भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपी हैं।
यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि अब जब केंद्रीय जांच समीति यह साबित कर चुकी है कि एनआईटी हमीरपुर के डायरेक्टर विनोद यादवा इस कथित भर्ती घोटाले के दोषी साबित हो चुके हैं तो उनके खिलाफ एफआईआर करने में देरी क्यों की जा रही है।
राणा ने कहा कि एनआईटी के डायरेक्टर विनोद यादवा की कारगुजारी के चलते एनआईटी में 100 के करीब भर्ती किए गए लोगों से करोड़ों के लेनदेन के भी आरोप लगे हैं। जिसकी जांच होना स्वाभाविक है।
उन्होंने कहा कि अगर सच में ही बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करती है तो अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय व एनआईटी प्रशासन को आरोपी डायरेक्टर के खिलाफ अपराधिक गतिविधियों के आरोप में एफआईआर दर्ज होनी जरुरी है।
राणा ने कहा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित समीति की रिपोर्ट में उन्हें दोषी पाया गया है। जिस कारण से उनकी सेवाओं को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया गया है।
राणा ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों की गंभीरता का पता इस बात से साफ चलता है कि केंद्रीय मंत्रालय ने उन्हें नोटिस देने तक का जोखिम नहीं उठाया है और उनकी सेवाओं को समाप्त करते हुए उन्हें तीन महीने की बेसिक पगार थमाकर चलता किया है।
राणा ने कहा कि वह इस भ्रष्टाचार के बड़े मामले की शिकायत लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश निशंक पोखरियाल के साथ बोर्ड ऑफ गवर्नर के चेयरमैन चंद्रशेखर को लगातार करते रहे हैं, जबकि इस मामले की शिकायत उन्होंने सबूतों के साथ हिमाचल प्रदेश सीबीआई के एसपी को भी की है।