प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों की सर्टिफिकेशन करवाएगी सरकार

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शिमला। प्रदेश में दो वर्ष पहले किसानों की कृषि लागत को कम कर आय में बढ़ोतरी के लिए शुरू की गई प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत प्राकृतिक खेती को अपना चुके किसानों की सर्टिफिकेशन सरकार की ओर से की जाएगी।

आज राज्य सचिवालय में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के लिए गठित राज्य कार्यबल की तीसरी समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव अनिल खाची ने कृषि सचिव और योजना से जुड़े अधिकारियों को सर्टिफिकेशन के काम को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए।

बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों को मार्केट में सही दाम मिल सके इसके लिए सर्टिफिकेशन बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती उत्पादों का एक मार्का भी तैयार करना चाहिए ताकि इसे पहचान मिल सके।

बैठक में मौजूद कृषि सचिव ओंकार शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक खेती से अभी तक 54914 किसान जुड़ चुके हैं। उन्होंने बताया कि इन किसानों में 15 हजार किसानों के सर्टिफिकेशन का काम मार्च 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा।

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत चल रही गतिविधियों की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव ने विडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से नौणी यूनिवर्सिटी और पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशकों से प्राकृतिक खेती पद्धति पर चल रहे अनुसंधान कार्यों के बारे में जानकारी ली।

बैठक के दौरान राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर ने मुख्य सचिव का अवगत करवाया कि इस साल प्राकृतिक खेती विधि के तहत 50 हजार अतिरिक्त किसानों को जोड़ने के साथ 20 हजार हैक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती के तहत लाने का लक्ष्य रखा गया है।

इसके लिए योजनाबद्ध तरिके से कार्य किया जा रहा है। इस मौके पर योजना के कार्यकारी निदेशक प्रो राजेश्वर सिंह चंदेल ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से परियोजना की गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान सरकार की गाइडलाइन्स का ध्यान में रखते हुए किसानों को इस खेती विधि से जोड़ने का कार्य किया गया है।

उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती विधि के तहत खेती कर रहे किसानों की आय में पहले ही साल में वृद्धि देखी गई है। वहीं खेतों में कीट-पतंगों और बीमारियों का आंतक भी रसायनिक खेती के मुकाबले में कम देखा गया है।

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