निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच ने उच्चतर शिक्षा निदेशक को सौंपा ज्ञापन

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शिमला। निजी स्कूलों की मनमानी लूट, भारी फीसों, फीस वृद्धि पर रोक लगाने, टयूशन फीस कुल फीस का पचास प्रतिशत से अधिक न हो व केवल टयूशन फीस वसूली को लेकर, छात्र अभिभावक मंच का प्रतिनिधिमंडल उच्चतर शिक्षा निदेशक से मिला व उन्हें ज्ञापन सौंपा।

उच्चतर शिक्षा निदेशक ने निजी स्कूलों की मनमानी, लूट व प्रदेश सरकार के केवल टयूशन फीस लेने के आदेश की अवहेलना के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।

मंच ने उच्चतर शिक्षा निदेशक से केवल टयूशन फीस वसूली के आदेश को लागू करने की मांग की है व सभी तरह के चार्जेज पर रोक लगाने की मांग की है। मंच ने मांग की है कि सभी स्कूल अपनी फीस बुकलेट जारी करें। मंच ने मांग की है कि सभी स्कूलों की मदवार फीस का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।

मंच ने सरस्वती पैराडाइज़ इंटरनेशनल स्कूल संजौली के प्रबंधन की तानाशाही व भारी लूट पर रोक लगाने की मांग की है। मंच ने प्रदेश सरकार, निदेशक उच्चतर शिक्षा व प्रारम्भिक शिक्षा को चेताया है कि वर्ष 2019 की तर्ज़ पर केवल टयूशन फीस लेने के निर्णय को अगर अक्षरशः लागू न किया गया, टयूशन फीस तिमाही के बजाए हर महीने के आधार पर न वसूली गयी, सभी तरह के चार्जेज को माफ व सम्माहित न किया गया तथा टयूशन फीस को रेशनेलाइज़ न किया गया तो आंदोलन तेज होगा।

मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा व सदस्य विवेक कश्यप ने कहा है कि शिक्षा विभाग ने जिन निजी स्कूलों की इंस्पेक्शन की है,उन्होंने शिक्षा विभाग के पास गलत रिकॉर्ड पेश किया है। इसलिए इन स्कूलों पर सख्त कार्रवाई अमल में लायी जानी चाहिए।

शिमला शहर के छूटे हुए बाकी निजी स्कूलों की भी तुरन्त इंस्पेक्शन की जानी चाहिए व शिक्षा विभाग को रिकॉर्ड अपने कब्जे में लेना चाहिए। निजी स्कूल प्रबंधन ज़्यादा वसूली गयी फीस को अगली किश्तों में सम्माहित करने में आनाकानी कर रहे हैं और न ही इस बढ़ी हुई फीस को वापिस लौटा रहे हैं।

इस ज़्यादा वसूली गयी फीस को अगली किश्तों के रूप में सम्माहित करने अथवा वापिस लौटाने के लिए सरकार ने कोई भी उचित मैकेनिज़्म तैयार नहीं किया है।

विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि कैबिनेट के निर्णय के अनुसार वर्ष 2019 की तर्ज़ पर ही निजी स्कूल टयूशन फीस वसूल सकते हैं लेकिन ये स्कूल वर्ष 2019 के बजाए वर्ष 2020 की फीस बढ़ोतरी के साथ यह टयूशन फीस वसूल रहे हैं।

इन स्कूलों ने पिछले वर्ष टयूशन फीस, एनुअल चार्ज, एडमिशन फीस, कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम चार्ज, स्पोर्ट्स चार्ज, केयरज़ फंड, मिसलेनियस फंड, बिल्डिंग फंड, डेवेलपमेंट फंड व अन्य सभी प्रकार के फंड व फीस के रूप में विभिन्न मदों में ली गयी फीस को इस वर्ष केवल टयूशन फीस में सम्माहित कर दिया है व पिछले वर्ष की तुलना में टयूशन फीस को चार से पांच गुणा बढ़ाकर अभिभावकों पर कोरोना काल की तिमाही में ही दस से पन्द्रह हज़ार रुपये का अतिरिक्त बोझ लाद दिया है।

उन्होंने कहा कि बहुत सारे निजी स्कूलों ने कोरोना काल का फायदा उठाते हुए अन्य चार्जेज को हटाकर 90 से 100 प्रतिशत फीस टयूशन फीस के नाम पर ही फीस बुकलेट में दर्शा दी है। अतः इन की टयूशन फीस को रेशनेलाइज़ किया जाए व उसी आधार पर अभिभावकों से फीस वसूली जाए। टयूशन फीस किसी भी रूप में कुल फीस के पचास प्रतिशत से अधिक नहीं वसूली जानी चाहिए। इसके लिए पूरा मैकेनिज़्म तैयार किया जाना चाहिए।

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