शिमला। प्रदेश सरकार राज्य के जनजातीय क्षेत्रों के समान एवं संतुलित विकास तथा जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए वचनबद्ध है। प्रदेश में जनजातीय समुदाय की जनसंख्या, कुल जनसंख्या का 5.71 प्रतिशत है। प्रदेश में इस समुदाय के सामाजिक एर्वं आिर्थक उत्थान हेतु जनजातीय उप-योजना के अन्र्तगत कुल राज्य योजना की राशि का 9 प्रतिशत भाग चिन्हांकित है।
वित्त वर्ष 2020-21 में जनजातीय उप योजना के अन्तर्गत कुल 1758 करोड़ रुपये, 1008 करोड़ रुपये योजना तथा 750 करोड़ रुपये गैर-योजना में प्रावधित किये गये हैंै। योजना बजट में मुख्यतः भवन, सड़कों व पुलों के निर्माण के लिए 177.61 करोड रुपये, शिक्षा सेवाओं के लिए 164.89 करोड़ रुपये, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 113.06 करोड़ रुपये तथा सिंचाई एवं पेयजल योजनाओं के लिए 128.84 करोड़ रुपये बजट में उपलब्ध करवाये गए हैं।
सीमा क्षेत्र विकास योजना के अन्तर्गत वर्ष 2018-19 में 25.95 करोड़ रुपये केन्द्रीय भाग तथा 2.88 करोड़ रुपये राज्य भाग के रूप में व्यय किए गए तथा वर्ष 2019-20 तथा 2020-21 के लिए 25.00 करोड़ रुपये केन्द्रीय भाग तथा 2.78 करोड़ रुपये राज्य भाग के रूप में प्रावधित किये गये हैं।
वर्तमान सरकार बनने के बाद इस मद में राज्य सरकार के प्रयासों के फलस्वरुप वर्ष 2017-18 के दौरान 10 करोड़ रुपये, वर्ष 2018-19 के दौरान 8.45 करोड़ रुपये तथा वर्ष 2019-20 के दौरान 9.91 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि के तौर गृह मन्त्रालय, भारत सरकार से प्राप्त किये गए हैं।
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018-19 के दौरान 3 नए एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल पांगी, भरमौर तथा लाहौल में खोलने की स्वीकृति प्रदान की गई, जिनमें शैक्षणिक कार्य वर्ष 2019-20 के दौरान अक्तूबर, 2019 से शुरू किया जा चुका है। भारत सरकार द्वारा अब तक एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल पांगी तथा लाहौल के निर्माण के लिए प्रत्येक के लिए 16 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल भरमौर के निर्माण के लिए 24 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की जाएगी।
विशेष केन्दीय सहायता के अन्तर्गत जनजातीय कार्य मन्त्रालय भारत सरकार से वर्ष 2018-19 के दौरान कुल 36.28 करोड़ रुपये की अनुदान राशि प्राप्त हुई, जिसमें 15.70 करोड़ रुपये की अतिरिक्त अनुदान राशि राज्य सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरुप प्राप्त हुई। इसी प्रकार वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 23.94 करोड़ रुपये की अनुदान राशि में 5.34 करोड़ रुपये की अतिरिक्त अनुदान राशि भी शामिल है।
संविधान के अनुच्छेद 275(1) के अन्तर्गत जनजातीय कार्य मन्त्रालय भारत सरकार से वर्ष 2018-19 के दौरान कुल 33.78 करोड़ रुपये की अनुदान राशि प्राप्त हुई, जिसमें 11.36 करोड़ रुपये की अतिरिक्त अनुदान राशि राज्य सरकार के प्रयासों के परिणाम स्वरुप एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूलों के भवन निर्माण प्राप्त हुई। इसी प्रकार वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 23.14 करोड़ रुपये की अनुदान राशि में 28.71 करोड़ रुपये की अतिरिक्त अनुदान राशि भी शामिल है।
वर्ष 2018-19 के दौरान जनजातीय क्षेत्र पांगी व भरमौर में टैलीमेडिसन की सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया गया, जिसके अन्तर्गत वर्ष 2019-20 में 1.74 करोड़ रुपये तथा वर्ष 2020-21 में 1.93 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। किन्नौर तथा काज़ा में यह सुविधा पहले से ही चल रही है।
अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत जनजातीय क्षेत्रों व गैर-जनजातीय क्षेत्रों में तीव्र क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तरीय निगरानी समिति, जिला स्तरीय समितियों तथा उप-मण्डल स्तरीय समितियों का गठन कर लिया गया है।
इसके अतिरिक्त ग्राम स्तर पर 17503 वन अधिकार समितियों का गठन किया गया। वर्ष 2019-20 के दौरान मण्डी व शिमला मण्डलों में मण्डल स्तरीय दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। प्रदेश में अभी तक 1890.11 हैक्टेयर वन भूमि पर सामुदायिक वन अधिकार तथा 2.4129 हैक्टेयर वन भूमि पर व्यक्तिगत अधिकार चिन्हित व निहित किए गए हैं।
सर्दियों में जनजातीय क्षेत्रों के लिए सरकार द्वारा हैलीकाॅप्टर सेवा प्रदान की जाती है। वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 61 हैलीकाॅप्टर उड़ाने की गईं, जिससे 1973 लोगों को लाभ मिला। वर्ष 2018-19 के दौरान हैलीकाॅप्टर सेवा के लिए अनुदान के लिए मामला भारत सरकार से उठाया गया, जिसके फलस्वरुप जनजातीय कार्य मन्त्रालय, भारत सरकार से पहली बार 4 करोड़ रुपये अनुदान राशि के रूप में प्राप्त किए गए तथा वर्ष 2019-20 के दौरान भी 4 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।