हमीरपुर। जिला क्षय रोग निवारण समिति एवं टीबी फोरम की बैठक यहां हमीर भवन में अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी जितेंद्र सांजटा की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
बैठक में वर्ष 2021 तक हिमाचल प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने के प्रदेश सरकार के संकल्प को साकार करने के दृष्टिगत हमीरपुर जिला में किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की गई।
बैठक में कहा गया कि केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रदेश सरकार ने इसके लिए वर्ष 2021 का लक्ष्य तय किया है और इस उद्देश्य से मार्च, 2018 में मुख्यमंत्री क्षय रोग निवल योजना प्रारम्भ की गई है। इसके अंतर्गत टीबी हारेगा, हिमाचल जीतेगा, देश जीतेगा का नारा दिया गया है।
जितेंद्र सांजटा ने कहा कि हमीरपुर जिला में क्षय रोग निवारण के लिए स्वास्थ्य एवं अन्य विभागों के समन्वित प्रयासों से प्रभावी कदम उठाए गए हैं। वर्ष 2019 के लिए हमीरपुर जिला को क्षयरोग उन्मूलन में देशभर में दूसरा जबकि हिमाचल प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त हुआ है, जिसके लिए सभी बधाई के पात्र हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों को इस बिमारी के प्रति जागरूक करने एवं समुदाय में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने के उद्देश्य से टीबी चैंपियन फील्ड में उतारे जाएंगे। इनमें वे लोग शामिल होंगे जो निश्चित अवधि में क्षयरोग का नियमित उपचार लेकर इस बिमारी को मात दे चुके हैं।
प्रत्येक चिकित्सा खंड से दो चैंपियन चुने जाएंगे और अभी तक जिला में 8 ऐसे चैंपियन की पहचान कर ली गई है। बैठक में भी तीन टीबी चैंपियन नारायण दास महंता, प्रेमचंद एवं बिहारी लाल सोनी ने अपने अनुभव सांझा किए।
बैठक में कहा गया कि सरकार की ओर से क्षय रोगियों को पोषक आहार के लिए प्रतिमाह 500 रुपए भत्ता प्रदान किया जा रहा। एमडीआर-टीबी रोगियों को इस भत्ते के साथ एक हजार रुपए अतिरिक्त प्रदान किए जा रहे हैं।
क्षय रोगी एवं एक परिचारक को स्वास्थ्य संस्थानों में आने-जाने के लिए बस किराया भी सरकार की ओर से प्रदान किया जा रहा है। क्षयरोग की दवाएं निःशुल्क प्रदान की जा रही हैं। क्षय रोगियों की सुविधा के लिए एक मोबाइल एप टीबी मुक्त हिमाचल भी तैयार किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ आयुर्वेद विभाग के विभिन्न अधिकारियों एवं फार्मासिस्ट को भी प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। उन्हें उपकरण इत्यादि भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। पंचायतीराज संस्थानों, स्वयं सहायता समूहों एवं महिला मंडलों के माध्यम से भी इस रोग के सफल उपचार के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
प्रत्येक रविवार को आशा कार्यकर्ता अपने कार्यक्षेत्र में एक्टिव केस फाइंडिंग के अंतर्गत क्षयरोग से पीड़ितों या इसके लक्षणों वाले व्यक्तियों की पहचान कर आवश्यकता पड़ने पर उनके नमूने इत्यादि भी लिए जा रहे हैं। आशा कार्यकर्ता को 25 रुपए प्रति रोगी प्रोत्साहन राशि और 100 रुपए दैनिक भत्ता भी प्रदान किया जा रहा है।