शिमला। शिमला नागरिक सभा कोरोना काल के कूड़े-पानी के बिलों, प्रॉपर्टी टैक्स को माफ करने, येलो लाइन के छः सौ रुपये व अन्य पार्किंग शुल्क को एक हज़ार रुपये से घटाने व दुकानदारों से वसूले जाने वाले प्रॉपर्टी टैक्स के मुद्दे पर आज नगर निगम शिमला के हाऊस का घेराव करेगी। इस दौरान सभी पार्षदों,उप महापौर, महापौर, संयुक्त आयुक्त व आयुक्त को इस संदर्भ में ज्ञापन सौंपे जाएंगे।
नागरिक सभा अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व सचिव कपिल शर्मा ने कहा है कि कोरोना महामारी के इस दौर में मार्च से सितम्बर के छः महीनों में कोरोना महामारी के कारण शिमला शहर के सत्तर प्रतिशत लोगों का रोज़गार पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से चला गया है।
हिमाचल प्रदेश सरकार व नगर निगम शिमला ने कोरोना काल में आर्थिक तौर पर बुरी तरह से प्रभावित हुई जनता को कोई भी आर्थिक सहायता नहीं दी है। शिमला शहर में होटल व रेस्तरां उद्योग पूरी तरह ठप्प हो गया है। इसके कारण इस उद्योग में सीधे रूप से कार्यरत लगभग पांच हजार मजदूरों की नौकरी चली गयी है।
पर्यटन का कार्य बिल्कुल खत्म हो गया है। इसके चलते शिमला शहर में हज़ारों टैक्सी चालकों, कुलियों, गाइडों, टूअर एंड ट्रैवल संचालकों आदि का रोज़गार खत्म हो गया है। इस से शिमला में कारोबार व व्यापार भी पूरी तरह खत्म हो गया है क्योंकि शिमला का लगभग चालीस प्रतिशत व्यापार पर्यटन से जुड़ा हुआ है व पर्यटन उद्योग पूरी तरह बर्बाद हो गया है।
मुख्य मांगें
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कोरोना काल के कूड़े के बिलों को माफ किया जाए।
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कोरोना काल के पानी के बिलों को माफ किया जाए।
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कूड़े व पानी के बिल हर महीने जारी किए जाएं।
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पीजी, जिम, रेहड़ी-फड़ी, तहबजारी व छोटे दुकानदारों से हज़ारों रुपये के कूड़े के बिल वसूलना बन्द किया जाए। उनके बिलों को तर्कसंगत बनाया जाए।
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हर साल कूड़े व पानी के बिलों में दस प्रतिशत की वृद्धि पर रोक लगाई जाए।
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अंतिम तारीख के बाद पानी के बिलों में दस प्रतिशत एक्स्ट्रा चार्ज बन्द किये जाएं।
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चार महीने के इकट्ठे पानी बिल की जगह हर महीने पानी बिल जारी किए जाएं।
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कूड़े, पानी व प्रॉपर्टी टैक्स की दरों में कटौती की जाए।
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दिल्ली की तर्ज़ पर बीस हज़ार लीटर पानी मुफ्त उपलब्ध करवाया जाए।
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कूड़े व पानी के निजीकरण की साज़िश बन्द की जाए।
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नगर निगम की दुकानों, स्टॉलों, गोदामों व अन्य सम्पत्तियों पर लगाए गए प्रोपर्टी टैक्स को वापिस लिया जाए।
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कोरोना महामारी के दौरान क्वार्टरों में रहने वाले बहुत सारे लोग अपने पुश्तैनी घरों को कूच कर चुके हैं, अतः उनकी बन्द रिहाइशों का कूड़े व पानी का बिल मकान मालिकों से न वसूला जाए।
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येलो लाइन व अन्य पार्किंग शुल्कों में कटौती की जाए।