शिमला। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि स्थानीय शहरी निकायों को आय सृजन के लिए अपने साधन सृजित करने के लिए कड़े प्रयास करने चाहिए ताकि वे अपने क्षेत्र में विकास कार्यों को गति प्रदान कर सके। मुख्यमंत्री आज यहां शहरी विकास विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्मार्ट सिटी मिशन कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत शिमला और धर्मशाला में स्मार्ट सिटी परियोजनाएं निष्पादित की जा रही हैं।
ये दोनों शहर पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। धर्मशाला स्मार्ट सिटी का परियोजना प्रस्ताव 2109.69 करोड़ रुपये जबकि शिमला स्मार्ट सिटी का परियोजना प्रस्ताव 2905.97 करोड़ रुपये है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि नगर निगम शिमला और नगर परिषद कुल्लू में अम्रुत मिशन कार्यान्वित किया जा रहा है। कुल आवंटित 304.52 करोड़ रुपये में से इस परियोजना के अन्तर्गत 166.38 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
इस धनराशि में से 119.58 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह परियोजना पेयजल आपूर्ति संवर्धन, जल उपचार संयंत्र मल निकासी उपचार संयंत्र, नालियों, फुट ब्रिज और फुट ओवर ब्रिज के निर्माण तथा पार्किंग स्थल, पार्क व हरित स्थल विकसित करने पर लक्षित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नगर परिषदों में अधिकतम पार्किंग स्थलों को विकसित एवं स्तरोन्नत करने के प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि सुचारू यातायात व्यवस्था बनी रहे और गलियों से भीड़े को कम किया जा सके।
इसके अलावा, बच्चों के लिए पार्क, जगिंग ट्रेक और पैदल पथ के निर्माण पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विकासात्मक परियोजनाओं का कार्य तय समय सीमा में पूरा किया जाए। उन्होंने विशेषकर धर्मशाला व शिमला स्मार्ट सिटी में विकास परियोजनाओं का कार्य निर्धारित समय में पूरा करने पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने हाल ही में मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना आरम्भ की है ताकि शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक घर को 120 दिन का निश्चित अप्रशिक्षित रोजगार प्रदान किया जा सके।
उन्होंने एक प्रभावी कर एकत्रिकरण तंत्र विकसित करने पर भी बल दिया, जिससे नगर परिषदों को न केवल राजस्व प्राप्त होगा, बल्कि लोगों को बेहतर नागरिक सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के स्थानीय शहरी निकायों में स्वच्छ भारत मिशन भी कार्यान्वित किया जा रहा है ताकि ठोस कचरे का वैज्ञानिक प्रबन्धन हो सके और लोगों को स्वच्छता एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया जा सके।
उन्होंने कहा कि इस मिशन की कुल लागत 49.01 करोड़ रुपये है, जिसमें अभी तक 34.08 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।