प्रयागराज। माता शीतला के गड़बड़ा धाम में परसुरामाचार्य ब्रह्मर्षि सुदर्शन शरण जी महाराज के मार्गदर्शन में चल रहे सतचण्डी महायज्ञ एवम् श्री रामकथा में पधारे श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने सर्व प्रथम माता शीतला का दर्शन-पूजन कर यज्ञ मण्डप की परिक्रमा की।
तत्पश्चात् पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने धर्म मंच से अपना आशीर्वचन प्रदान किया। पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने उपस्थित सनातन समाज के श्रद्धालुओं से कहा कि माँ ने महाकाली के रूप में राक्षसों का संहार किया, जिसका वर्णन मार्कंडेय पुराण में श्री दुर्गा सप्तशती नामक ग्रन्थ में वर्णित है।
श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ को 108 बार करने को शतचण्डी पाठ महायज्ञ कहा जाता है, पाठ को 1000 बार करने को सहस्रचण्डी महायज्ञ कहा जाता है और पाठ को एक लाख बार करने पर लक्ष्यचण्डी महायज्ञ कहा जाता है।
माँ दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है। दुर्गा जी को प्रसन्न करने के लिए जिस यज्ञ विधि को पूर्ण किया जाता है, उसे शतचण्डी यज्ञ कहा जाता है। नवचण्डी यज्ञ को सनातन धर्म में बहुत ही शक्तिशाली वर्णित किया गया है । इस यज्ञ से बिगड़े हुए ग्रहों की स्थिति को सही किया जा सकता है और सौभाग्य इस विधि के बाद आपका साथ देने लगता है।
इस यज्ञ के बाद मनुष्य स्वयम् में एक आनंदित वातावरण की अनुभूति करता है। वेदों में इसकी महिमा के बारे में यहाँ तक कहा गया है कि शतचण्डी यज्ञ के बाद आपके दुश्मन आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं।
इस यज्ञ को गणेशजी, भगवान शिव, नवग्रह और नव दुर्गा (देवी) को समर्पित करने से मनुष्य जीवन धन्य होता है । यज्ञ विद्वान ब्राह्मण द्वारा किया जाता है, क्योंकि इसमें 700 श्लोकों का पाठ किया जाता है, जो एक निपुण ब्राह्मण ही कर सकता है ।
नव चण्डी यज्ञ एक असाधारण,बहुत ही शक्तिशाली और बड़ा यज्ञ है, जिससे देवी माँ की अपार कृपा होती है । प्राचीन काल में देवता और राक्षस लोग इस यज्ञ का प्रयोग ताकत और ऊर्जावान होने के लिए निरन्तर करते थे। शतचण्डी पाठ महायज्ञ को करने वाला ब्राह्मण विद्वान होना चाहिए, जो पाठ का शुद्ध उच्चारण कर सके, जिससे लाभ की प्राप्ति हो ।
अगर पाठ का अशुद्ध उच्चारण हुआ, तो तत्काल हानि की प्राप्ति होती है । क्योंकि यज्ञ से बड़ा मित्र कोई नहीं है, तो यज्ञ से बड़ा शत्रु भी कोई नहीं है । यह पाठ मनुष्य के जीवन में विशेष परिस्थिति में जैसे शत्रु पर विजय, मनोवांछित नौकरी की प्राप्ति, नौकरी में प्रमोशन, व्यापार में वृद्धि, परिवार में कलह-क्लेश से मुक्ति एवम् विभिन्न प्रकार की परेशानियों से मुक्ति आदि पाने के लिए कराया जाता है।
शक्ति से ही शान्ति सम्भव हो सकती है, जैसा उप्र में देखने को मिल रहा है। आज उत्तर प्रदेश में वही पुलिस और प्रशासन है, लेकिन योगी सरकार से पहले की और योगी सरकार के समय की कानून व्यवस्था में जमीन-आसमान का अन्तर है।
योगी को भारत का केन्द्रीय शासक होना चाहिए । धर्म मंच से स्वामी बृजभूषणानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि शतचण्डी पाठ करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माँ दुर्गा की विशेष कृपा सदैव भक्तों पर बनी रहती है।
इस पाठ को करने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं क्योंकि शक्ति का संचरण सर्वत्र है, धरा के नर्तन में, तो सागर के उफान में। आकाश में कलरव करते पंछियों के झुण्ड में, तो हँसते-खिलखिलाते-उछलकूद करते बालवृन्दों में, सर्वत्र उसी का दर्शन होता है।
शक्ति के बिना कोई क्रिया सम्भव नहीं और शक्ति के बिना कोई अस्तित्व टिकता नहीं। इसलिए हम सभी को शक्ति की आराधना निश्चित रूप से करनी ही चाहिए।
स्वामी परसुरामाचार्य ब्रह्मर्षि सुदर्शन शरण जी महाराज ने भी यज्ञ की महिमा का विस्तार से वर्णन किया । इस अवसर पर कृपाचार्य कृपाशंकर जी, निरंजन पाण्डेय, अभिमन्यु त्रिपाठी, उमेश हिन्दू सहित आयोजन समिति के समस्त पदाधिकारी एवम् कार्यकर्ता तथा सनातनधर्मी श्रद्धालु उपस्थित थे।