मैं विकास रुकवाने में नहीं करवाने में विश्वास रखता हूं : राणा

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सुजानपुर। मैं विकास करवाने में विश्वास रखता हूं, रुकवाने में नहीं। उम्र का आधा दशक पार करने के बाद मैं अपने अनुभव के आधार पर यह निश्चित तौर पर घोषणा करता हूं कि मेरा जन्म सिर्फ और सिर्फ सुजानपुर के विकास के लिए हुआ है। शायद यही कारण है कि सुजानपुर और मुझ में एक अटूट पारिवारिक नाता बन गया है।

यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने कार्यक्रम में कही है। राणा ने कहा कि नेता हो या अभिनेता, महंत हो या संत या फिर समाज सेवक व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है। यही कारण है कि मैं दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सिर्फ सेवा समर्पण में भरोसा रखता हूं।

सेवा साधना के क्षेत्र से जब से मैं राजनीति में आया हूं समूचे सुजानपुर को अपना परिवार मानता हूं और इसी नाते हर किसी का काम करना अपना फर्ज और कर्ज समझता हूं। सुजानपुर के आपार स्नेह के कारण मैं यहां का विधायक हूं। इस नाते से मैं हर किसी की सेवा करना अपना दायित्व मानता हूं।

मेरे लिए राजनीति सिर्फ जनता की सेवा का साधन है। जिसमें मैं कभी न अमीर देखता हूं, न गरीब देखता हूं, न छोटा देखता हूं, न बड़ा देखता हूं, न कांग्रेसी देखता हूं, न भाजपाई देखता हूं, मेरे लिए सुजानपुर की जनता एक सामान है।

राणा ग्राम पंचायत लग कड़ियार में आयोजित महिला मंडल सम्मान समारोह में बोल रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने 4 महिला मंडलों को 12-12 हजार रुपए व एक-एक टेंट देकर सम्मानित भी किया।

समारोह के बाद जन समस्याएं सुनीं व इसी कड़ी में लग कड़ियार के गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल से लेकर सुबेदार ध्यान चंद के घर तक लिंक रोड़ के लिए डेढ़ लाख रुपए, जगदेव चंद के घर के पास रास्ते के निर्माण व डंगे की मरम्मत के लिए 75 हजार रुपए, हरिजन बस्ती की सड़क की मरम्मत व सड़क निर्माण के लिए 1 लाख रुपए स्वीकृत करने की घोषणा की।

राणा ने कहा कि समाज में समाज सेवा का अनुकरणीय उदहारण जो सुजानपुर के महिला मंडलों, युवक मंडलों व अन्य समाजसेवी संगठनों ने प्रस्तुत किया है। उसके लिए मैं ताउम्र इन समाजसेवी संगठनों का आभारी हूं। सुजानपुर की सेवा के लिए अंतिम सांस तक संघर्षरत रहने के लिए वचनबद्ध हूं।

उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि जब तक मैं रोज लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुन व सुलझा न लूं, किसी की जरुरतमंद की मदद न कर लूं, तब तक मुझे न चैन आता है, न सुकून आता है और शायद यही मेरी दिनचर्या का अब मुख्य हिस्सा बनकर रह गया है और शायद यही मेरे जीने का अब एकमात्र मकसद है।

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