उपचुनाव – चुनावी जनसभाओं में भी रुला गए राजा साहब, मंडी से रहा गहरा नाता

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शिमला। यूं ही पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह लोगों के दिलों में नहीं बसते थे। जनता उनकी जान थी और प्रदेश का विकास उनकी प्राथमिकता रही।

प्रदेश में हुए उपचुनाव में चाहे किसी भी दल का मंच हो, सबसे ज्यादा यदि किसी का जिक्र हुआ तो वे वीरभद्र सिंह ही थे। वीरभद्र सिंह इन उप चुनाव में परोक्ष रूप से जनता के बीच नहीं थे लेकिन हर मंच पर उनका जिक्र हुआ। लोग उन्हें याद कर भावुक हुए।

भाजपा की कई जनसभाओं में उन्हें याद किया गया। दरअसल वीरभद्र सिंह प्रदेश की सियासत में ऐसा नाम है जिनके साथ हर खासोआम का लगाव रहा।

उनके निधन के मौके पर शिमला व रामपुर में उमड़ा जनसैलाब इस बात का गवाह है।

मंडी संसदीय क्षेत्र के साथ उनका खासा नाता रहा है। अनेकों सौंगाते देकर उन्होंने छोटी काशी में विकास की कई इबारत लिखी, जिसकी गवाही वहां पर हुए विकास कार्य देते हैं।

देखा जाए तो वीरभद्र सिंह का मंडी से 5 दशक पुराना रिश्ता रहा है। वह 1971 में यहां से सांसद चुने गए थे। हालांकि वह वर्ष 1962 व 67 में भी सांसद चुने गए लेकिन 1971, 1980 व 2009 में मंडी से सांसद रहे।

1983 में प्रदेश की सियासत में वीरभद्र सिंह लौटे। इसके बाद उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री प्रदेश के लगभग हर क्षेत्र में शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए कार्य किया।

मंडी में किए विकास कार्य के कुछ काम

मंडी में मिनी सचिवालय वीरभद्र सिंह की देन है। इसी तरह सीवरेज प्लांट, 24 घंटे पानी की योजना, ऊहल पावर प्रोजेक्ट, भीमाकाली परिसर पार्किंग, मंडी सौंदर्यीकरण, आईआईटी, भूतनाथ मंदिर, मेडिकल कालेज, मंडलायुक्त कार्यालय, टाउन हॉल, देव सदन सहित अनेकों विकास कार्य वीरभद्र सरकार की ही देन है।

इन कार्यों के अलावा उन्होंने मंडी संसदीय क्षेत्र में विकास के सैंकड़ों कार्य किए हैं। यही कारण है कि मंडी की जनता ने उन्हे हमेशा अपनी पलकों पर बिठाया और आज भी लोग उन्हें याद करते है।

स्वर्गीय वीरभद्र सिंह आज भले ही इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन लोगो के दिलो में अपनी छाप छोड़ गए हैं।

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