जानिए तुलसी विवाह का महत्व

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हर्षण योग में होगा तुलसी विवाह

मैहतपुर। हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। इस दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु के शालिग्राम अवतार के विवाह का विधान है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह किया जाता है।

इस दिन भगवान विष्णु 4 माह की योग निद्रा के बाद जागृत होते हैं। शुभ मुहूर्त एकादशी तिथि 15 नवंबर सुबह 6:29 तक रहेगी। इसके बाद द्वादशी तिथि शुरू हो जाएगी। तुलसी विवाह 15 नवंबर दिन सोमवार को किया जाएगा।

द्वादशी तिथि 15 नवंबर को सुबह 6:39 से प्रारंभ होगी जो कि 16 नवंबर को सुबह 8:01 तक रहेगी। ठाकुरद्वारा मंदिर बसदहेड़ा से कमलेश देवी पत्नी ओंकार सिंह के निवास बाथू ठाकुर जी की भव्य बारात जाएगी।

ठाकुरद्वारा मंदिर कमेटी बसदेहड़ा के बख्तावर सिंह व नगर परिषद मैहतपुर बसदेहड़ा के उपाध्यक्ष अजय कुमार ने बताया कि तुलसी विवाह का आयोजन धार्मिक मान्यताओं, रिति-रिवाज के अनुसार करवाया जा रहा है।

इस दौरान वर पक्ष की ओर से हिंदू धर्म के अनुसार सभी मान्यताओं का निर्वहन किया गया। ठाकुरद्वारा मंदिर में इस दौरान ठाकुर जी को हल्दी रस्म और महिला संगीत का रस्म को अदा किया गया।

इस मौके पर नगर परिषद के पार्षद विपन कुमार, बलराम चंदेल, पूर्व पार्षद डॉ. रामपाल सैणी, दिनेश कुमार, लोकभानु भारद्वाज, बलराम भारद्वाज, सुभाष चंद, बीना, योद्वा सिंह समेत कई कृष्ण प्रेमी उपस्थित रहे।

तुलसी विवाह का महत्व

वशिष्ठ ज्योतिष सदन के अध्यक्ष पंडित शशिपाल डोगरा ने बताया कि तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए अगर किसी ने कन्यादान न किया हो तो उसे जीवन में एक बार तुलसी विवाह करके कन्या दान पुण्य अवश्य करना चाहिए।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी विवाह विधि विधान से संपन्न कराने वाले भक्तों को अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा से मनोकामना पूरी होती है। वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलने की भी मान्यता है।

हर्षण योग का शुभ संयोग

पंडित शशिपाल डोगरा के अनुसार तुलसी विवाह के दिन हर्षण योग का शुभ संयोग बन रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर्षण योग 15 नवंबर की देर रात 1:44 तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में शुभ व मांगलिक कार्यों के लिए हर्षण योग को उत्तम माना जाता है।

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