आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक – 16 नवंबर 2021
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत – 2078
शक संवत -1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – कार्तिक
पक्ष – शुक्ल
तिथि – द्वादशी सुबह 08:01 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
नक्षत्र – रेवती रात्रि 08:15 तक तत्पश्चात अश्विनी
योग – सिद्धि 17 नवंबर रात्रि 01:48 तक तत्पश्चात व्यतिपात
राहुकाल – शाम 03:10 से शाम 04:33 तक
सूर्योदय – 06:51
सूर्यास्त – 17:55
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
गरुड़ द्वादशी (ओड़िशा), भोमप्रदोष व्रत, विष्णुपदी संक्रांति (सूर्योदय से दोपहर 01:04 तक)
विशेष –
द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
व्यतिपात योग
व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।
वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।
व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ नाराज हुऐ।
उन्होंने चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नही दिया।
सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये।
सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसु बहे, वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।
विशेष
17 नवम्बर 2021 बुधवार को रात्रि 01:49 से 18 नवम्बर, गुरुवार को रात्रि 02:17 तक (यानी 17 नवम्बर, बुधवार को पूरा दिन) व्यतिपात योग है।
पौष्टिक नाश्ता
चना, मूँग, मोठ एक कटोरी में भिगोकर रखें। एक मुट्ठी मूँगफली व एक चम्मच तिल (काले हो तो उत्तम) रात को पानी में भिगो दें। सुबह नमक मिला के उबाल लें।
इसमें हरा धनिया, पालक व पत्तागोभी काट के तथा चुकंदर, मुली एवं गाजर कद्दुकश करके मिला दें। ऊपर से काली मिर्च बुरक के नींबू निचोड़ दें।
चार व्यक्तियों के लिए नाश्ता तैयार है । इसे खूब चबा-चबाकर खाएं। यह नाश्ता सभी प्रकार के खनिज-द्रव्यों, प्रोटीन्स, विटामिन्स व आवश्यक कैलरीज की पूर्ति करता है।
त्रिपुरारी पूर्णिमा
18 नवम्बर 2021 गुरुवार को त्रिपुरारी पूर्णिमा है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार,इसी दिन भगवान शिव ने असुरों के तीन नगर (त्रिपुर) का नाश किया था। इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं।
चूंकि त्रिपुरारी पूर्णिमा भगवान शिव से संबंधित है इसलिए इस बार ये शुभ योग आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय किए जाएं तो हर परेशानी दूर हो सकती है।
आपकी परेशानियां दूर कर सकते हैं ये उपाय
यदि विवाह में अड़चन आ रही है तो पूर्णिमा को शिवलिंग पर केसर मिला दूध चढ़ाएं । जल्दी ही विवाह के योग बन सकते हैं।
मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं । इस दौरान भगवान शिव का ध्यान करते रहें । यह धन प्राप्ति का सरल उपाय है ।
पूर्णिमा को 21 बिल्व पत्रों पर चंदन से ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं । इससे आपकी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं।
पूर्णिमा को नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं । इससे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और परेशानियों का अंत होगा।
गरीबों को भोजन करवाएं। इससे आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी तथा पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी।
पानी में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें व ॐ नम: शिवाय का जप करें । इससे मन को शांति मिलेगी।
घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करें व रोज उसकी पूजा करें । इससे आपकी आमदनी बढ़ाने के योग बनते हैं ।
पूर्णिमा को आटे से 11 शिवलिंग बनाएं व 11 बार इनका जलाभिषेक करें। इस उपाय से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।
शिवलिंग का 101 बार जलाभिषेक करें । साथ ही महा मृत्युंजय
ॐ हौं जूँ सः । ॐ भूर्भुवः स्वः । ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्व्वारुकमिव बन्धानान्मृत्यो मृक्षीय मामृतात् । ॐ स्वः भुवः भूः ॐ । सः जूँ हौं ॐ ।
मंत्र का जप करते रहें । इससे बीमारी ठीक होने में लाभ मिलता है।
पूर्णिमा को भगवान शिव को तिल व जौ चढ़ाएं । तिल चढ़ाने से पापों का नाश व जौ चढ़ाने से सुख में वृद्धि होती है।