शिमला। हाईकोर्ट के संरक्षण में कार्यरत हिमाचल प्रदेश स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी ट्रांसजेंडर समुदाय में जागरूकता के लिए विशेष अभियान चलाएगी।
अथॉरिटी के सदस्य सचिव और जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रेमपाल रांटा ने मानवाधिकार जागरूकता पर उमंग फाउंडेशन के साप्ताहिक वेबीनार में यह जानकारी दी। उन्होंने युवाओं से पैरा लीगल वालंटियर बनकर समाज के कमजोर वर्गों में कानूनी जागरूकता फैलाने की अपील की।
आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में मानवाधिकार जागरूकता पर उमंग फाउंडेशन के 15वें साप्ताहिक वेबीनार की संयोजक आकांक्षा जसवाल ने बताया कि प्रेम पाल रांटा ने “मानवाधिकार संरक्षण में स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी की भूमिका” पर व्याख्यान दिया और युवा प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिए। वेबिनार में हिमाचल प्रदेश एवं अन्य राज्यों के करीब 80 युवाओं ने हिस्सा लिया।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भविष्य में उनकी संस्था ग्रामीण क्षेत्रों में कानूनी जागरूकता के लिए स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के साथ मिलकर काम करेगी।
प्रेमपाल रांटा ने कहा कि हाईकोर्ट के संरक्षण में कार्यरत अथॉरिटी ट्रांसजेंडर समुदाय में जागरूकता के लिए प्रदेश में विशेष अभियान चलाएगी क्योंकि यह वर्ग समाज में बिल्कुल हाशिए से बाहर है।
उन्होंने कहा की युवा वर्ग स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के पैरा लीगल वालंटियर बंद कर समाज में कानूनी जागरूकता फैलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए सिर्फ मैट्रिक पास होना आवश्यक है।
उन्होंने बताया की लीगल सर्विस अथॉरिटी राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश, जिला, और सब डिवीजन स्तर पर कार्यरत रहती हैं। इन के माध्यम से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, बच्चों, ट्रांसजेंडर, कैदियों, मनोरोगियों, नशा करने वालों और विकलांगजनों के को मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
तीन लाख प्रति वर्ष से कम आय वाले वरिष्ठ नागरिकों को भी इस योजना में शामिल किया जाता है।
उनके अनुसार अथॉरिटी में सक्षम वकीलों का एक बड़ा पैनल होता है जो जिला न्यायालय हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पात्र व्यक्तियों को मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध कराता है।
अथॉरिटी के सदस्य सचिव ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान उनके संगठन ने 45 अनाथ और 67 अर्ध-अनाथ बच्चों की पहचान की और उन्हें सहायता सुनिश्चित कराई।
नाहन जेल में कोरोना का एक विशेष अस्पताल स्थापित कराया गया। जेलों में भीड़भाड़ कम करने के लिए कैदियों को 90 दिन का विशेष पैरोल भी दिया गया।
कार्यक्रम में सवीना जहां, नरेश राव, उदय वर्मा ने सहयोग दिया।