जानें क्या और क्यों होता है थायराइड और इस रोग से बचने के लिए क्या रखें सावधानियां

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शिमला। थायराइड तितली के आकार की ग्रंथि होती है। यह गर्दन के अंदर और कॉलरबोन के ठीक ऊपर स्थित होती है। थायराइड एक प्रकार की एंडोक्राइन ग्रंथि (नलिकाहीन ग्रन्थियां) है, जो हार्मोन बनाती है। थायराइड विकार एक आम समस्‍या है जो पुरुषों से ज्‍यादा महिलाओं को प्रभावित करती है।

जीवन में किसी भी चीज़ का “संतुलन” बहुत ज़रूरी है, किसी भी चीज़ की कमी विकार पैदा करती है और उसी की ज्यादा मात्रा में होना भी असंतुलन और विकार पैदा करता है – जैसे नमक,चीनी कम हो तो भी खाना बेस्वाद लगता है और ज्यादा मात्रा में हों तो भी, मतलब जीवन में संतुलन बिगड़ जाये तो समस्या ही समस्या है !

प्रमुख तौर पर थायराइड समस्या दो प्रकार की होती है –

1. हाइपरथायराइड (थायराइड का बढ़ना)

2. हाइपोथायराइड( थायराइड का घटना)

हाइपरथायराइडिज्‍म में अत्‍यधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन बनने लगता है जबकि हाइपोथायराइडिजम में इस हार्मोन का उत्‍पादन कम होता है।

उचित उपचार की मदद से थायराइड ग्रंथि ठीक तरह से काम कर सकती है। जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर जैसे कि संतुलित आहार और पर्याप्‍त मात्रा में आयोडीन का सेवन एवं तनाव को दूर करने के लिए योग तथा ध्यान की मदद से थायराइड को नियंत्रित किया जा सकता है। थायराइड ग्रंथि से संबंधित समस्‍याओं को नियंत्रित करने के लिए एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से नियमित परामर्श और चैकअप करवाते रहना चाहिए।

थायराइड क्‍या है?

थायराइड(Thyroid)

एक एंडोक्राइन ग्रंथि है जो ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) और थायरोक्सिन (टी4) नामक दो हार्मोन बनाती है। इन हार्मोनों का उत्‍पादन और स्राव थायराइड-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

टीएसएच पिट्यूटरी में बनता है जिसके स्राव को थायराइड रिलीज करने वाले हार्मोन या टी एस एच TSH (Thyroid Stimulating Hormone) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। ये हार्मोन शरीर की सामान्‍य प्रक्रिया के लिए जिम्‍मेदार होते हैं।

थायराइड ग्रंथि के ज्‍यादा या कम मात्रा में हार्मोन बनाने पर थायराइड की समस्‍या उत्‍पन्‍न होने लगती है ..

वैश्विक स्‍तर पर पुरुषों से ज्‍यादा महिलाएं इस बीमारी से ग्रस्‍त होती हैं। 0.5% पुरुषों की तुलना में 5% महिलाएं थायराइड का शिकार होती हैं। थायराइड हार्मोन का कम या ज्‍यादा बनना, शरीर की प्रत्‍येक कोशिका को प्रभावित करता है।

थायराइड संबंधी समस्याएं के प्रकार –

हाइपरथायराइडिज्‍म

हाइपरथायराइडिज्‍म में थायराइड हार्मोन अधिक मात्रा में बनने लगता है। इसमें टी3 और टी4 का स्‍तर बढ़ने एवं टीएसएच का स्‍तर घटने लगता है। कभी-कभी थायराइड ग्रंथि की सूजन के कारण स्‍थायी तौर पर हाइपरथायराइडिजम हो सकता है।

हाइपोथाइराडिज्‍म

थायराइड का दूसरा प्रकार है हाइपोथाइराडिज्‍म जिसमें थायराइड हार्मोन कम बनने लगता है और टी3 एवं टी4 का सीरम लेवल घटने तथा टीएसएच TSH का स्‍तर बढ़ने लगता है।

थायराइड से जुड़ी सामान्‍य समस्‍याएं:

हाइपरथायराइडिज्‍म:

इसमें थायराइड ग्रंथ के अधिक सक्रिय होने के कारण थायराइड हार्मोन का अत्‍यधिक स्राव होने लगता है।

हाइपोथायराइडिज्‍म: इसमें थायराइड ग्रंथि सामान्‍य से कम मात्रा में थायराइड हार्मोन का स्राव करती है !

थायराइड संबंधी समस्याओं के लक्षण

हाइपरथायराइडिज्‍म :

हाइपरथायराइडिज्‍म के सबसे सामान्‍य लक्षण हैं:

वजन कम होना, घबराहट, चिंता, परेशानी और मूड बदलना, थकान, सांस फूलना, दिल की धड़कन तेज होना, गर्मी ज्‍यादा लगना, कम नींद आना, अधिक प्‍यास लगना, आंखों में लालपन और सूखापन होना, बाल झड़ना और बालों का पतला होना

हाइपोथायराइडिज्‍म:

हाइपोथायराइडिज्‍म के सबसे सामान्‍य लक्षण हैं:

वजन बढ़ना
थकान
नाखूनों और बालों का कमजोर होना
त्‍वचा का रूखा और पतला होना
बालों का झड़ना
सर्दी ज्‍यादा लगना
अवसाद (डिप्रेशन)
मांसपेशियों में अकड़न
गला बैठना
मानसिक तनाव

हाइपरथायराइडिज्‍म :

हाइपरथायराइडिज्‍म के विभिन्‍न कारण इस प्रकार हैं:

ग्रेव्स डिजीज: Grave’s Disease

हाइपरथायराइडिज्‍म का सबसे सामान्‍य कारण ग्रेव्स डिजीज है। ये एक ऑटोइम्‍यून रोग है जिसमें ऑटो एंटीबॉडीज अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन का उत्‍पादन एवं स्राव करने के लिए ग्रंथि को उत्तेजित करने लगती हैं। ये समस्‍या पुरुषों से ज्‍यादा महिलाओं में देखी जाती है।

आयोडीन का अधिक सेवन:

थायराइड हार्मोंस के उत्‍पादन के लिए आयोडीन एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व (माइक्रोन्‍यूट्रिएंट) है। हालांकि, आयोडीन का ज्‍यादा सेवन करने पर हाइपरथायराइडिज्‍म हो सकता है।

गर्भावस्‍था:

गर्भावस्‍था के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण हाइपरथायराइडिज्‍म हो सकता है।

आयोडीन की कमी:

थायराइड ग्रंथि के बाद थायराइड हार्मोन को बनाने में आयोडीन अहम भूमिका निभाता है और इसकी कमी की वजह से हाइपोथायराइडिज्‍म हो सकता है।

हाइपरथायराइडिज्‍म की दवा और उपचार के कारण थायराइड हार्मोन का उत्‍पादन कम हो सकता है।

थायराइड डिस्‍जेनेसिस
जन्मजात हाइपोथायराइडिज्म

परिवार में किसी सदस्‍य को हाइपोथायराइडिज्‍म होने पर अन्‍य सदस्‍यों में भी इसका खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में जन्‍मजात हाइपोथायराइडिज्‍म बहुत सामान्‍य है। इसके अलावा कम आयोडीन वाला आहार भी हाइपोथायराइडिज्‍म का महत्‍वपूर्ण कारक है।

हाइपरथायराइडिज्‍म :

हाइपरथायराइडिज्‍म के स्‍पष्‍ट कारण का अब तक पता नहीं चल पाया है जिस वजह से इस समस्‍या की रोकथाम भी मुश्किल है। हालांकि, तनाव और धूम्रपान की लत को दूर कर एवं संतुलित आहार की मदद से हाइपरथायराइडिज्‍म के खतरे को कम किया जा सकता है।

हाइपोथायराइडिज्‍म

हाइपोथायराइडिज्‍म अनुवांशिक और हार्मोनल कारणों की वजह से होता है इसलिए इसे रोकना कठिन है। हालांकि, इस बीमारी की जांच और इलाज काफी आसान है। पर्याप्‍त मात्रा में आयोडीन के सेवन और संतुलित आहार की मदद से हाइपोथायराइडिज्‍म से बचा जा सकता है।

थायराइड संबंधी समस्याओं का निदान –

हाइपरथायराडिज्‍म :

हाइपरथायराडिज्‍म की सही समय पर जांच से इलाज में मदद मिल सकती है। इसके इलाज में सबसे पहले मरीज़ से ये पूछा जाता है कि उसके परिवार में किसी को थायराइड रहा है या नहीं। इसके बाद गर्दन के हिस्‍से की जांच की जाती है। हाइपरथायराडिज्‍म की जांच निम्‍न प्रकार से की जा सकती है:

खून की जांच:

टीएसएच, टी3 और टी4 का लेवल चेक करना
थायराइड ग्रंथि द्वारा आयोडीन के इस्‍तेमाल की न्‍यूक्लियर इमेजिंग
ग्रंथि पर किसी असामान्‍य गांठ की बायोप्‍सी
नेत्र परीक्षण

हाइपोथायराइडिज्‍म

लक्षण के आधार पर हाइपोथायराइडिज्‍म की जांच की जाती है। थायराइड हार्मोन के स्‍तर का पता लगाने के लिए चिकित्‍सकीय परीक्षण और टेस्‍ट भी किए जाते हैं। हाइपोथायराइडिज्‍म की जांच निम्‍न प्रकार से की जा सकती है:

ब्‍लड टेस्‍ट: टीएसएच, टी3 और टी4 के लेवल की जांच

थायराइड ग्रंथि का अल्‍ट्रासाउंड

खून टेस्‍ट: टीएसएच, टी3, टी4, कैल्सिटोनिन और थिरोग्‍लोबुलिन के स्‍तर की जांच

फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटौलोजी (FNAC)

टिश्‍यू बायोप्‍सी..

इमेजिंग स्‍टडी:

एक्‍स-रे, अल्ट्रासाउंड, रेडियोएक्टिव आयोडीन अपटेक इमेजिंग, सीटी स्कैन और एमआरआई से..

थायराइड संबंधी समस्याओं का उपचार –

हाइपरथायराइडिज्‍म :

हाइपरथायराइडिज्‍म के लिए निम्‍न उपचार उपलब्‍ध हैं:

दवाएं:

रेडियोएक्टिव आयोडीन एबलेशन, थायरायइड-रोधी दवाओं जैसे कि निओमरकाजोल (हार्मोंस के रिलीज होने की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए) और सूजन-रोधी दवाओं (लक्षणों से राहत दिलाने के लिए) की सलाह दी जाती है।

थायराइड ग्रंथि के प्रभावित हिस्‍से को सर्जरी से निकालना या थायराइडेक्‍टोमी आंखों का सूखापन दूर करने के लिए आर्टिफिशियल टियर्स का इस्‍तेमाल।

जीवनशैली में बदलाव

दवाओं के अलावा जीवनशैली में कुछ बदलाव कर के भी थायराइड ग्रंथि की सक्रियता पर नज़र रखी जा सकती है। नियमित हैल्‍थ चेकअप, धूम्रपान छोड़कर और योग की मदद से थायराइड की समस्‍या को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।

विटामिन, प्रोटीन, कैल्शियम, आयोडीन और मैग्नीशियम युक्‍त संतुलित आहार से भी हाइपरथायराइडिज्‍म के लक्षणों से राहत तथा संपूर्ण सेहत में सुधार लाने में मदद मिल सकती है।

हाइपोथायराइडिज्‍म :

उपचार

नियमित थायरोक्सिन (Tab. Thyroxin) की खुराक, हाइपोथायराइडिज्‍म का सबसे सामान्‍य उपचार है। इलाज शुरु होने के बाद नियमित खून की जांच करवाते रहना चाहिए ताकि खून में हार्मोन लेवल के अनुसार खुराक में बदलाव किया जा सके।

जीवनशैली में बदलाव

दवा के अलावा चेकअप और व्‍यायाम एवं योग की मदद से थायराइड हार्मोन के स्‍तर को नियंत्रित किया जा सकता है।

थायराइड कैंसर

उपचार

थायराइड कैंसर का उपचार इसके प्रकार और थायराइड कैंसर के स्‍तर (स्‍टेज) पर निर्भर करता है। आमतौर पर थायराइड कैंसर के इलाज के लिए निम्‍न उपचार उपलब्‍ध हैं:

सर्जरी: थायराइड ग्रंथि को पूरा या इसका कुछ हिस्‍सा और गर्दन की लिम्‍फ नोड्स को निकाला जाता है ..

हाइपरथायराइडिज्‍म की वजह से निम्‍नलिखित प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है:

कार्डियोवस्‍कुलर रोग जैसे कि स्ट्रोक और हार्ट फेल
लकवा, ऑस्टियोपोरोसिस, अनियमित मासिक धर्म के कारण बांझपन

थायरॉक्सिन की नियमित खुराक से हाइपोथायराइडिज्‍म का इलाज किया जा सकता है। अगर सही इलाज न लिया जाए हाइपोथायराइडिज्‍म की वजह से कोई गंभीर समस्‍या हो सकती है।

थायराइड ग्रंथि के कम सक्रिय होने पर एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों के अंदर कोलेस्ट्रॉल का जमाव) जैसी समस्‍याएं हो सकती हैं। कुछ मामलों में इसकी वजह से हार्मोनल जरूरतों को पूरा करने के लिए थायराइड ग्रंथि बढ़ भी सकती है।जिसे हम साधारण भाषा में Goiter या “गिल्हड़”

इसमें गले के ऊपर थायराइड ग्रंथि बहुत बड़ी हो जाती है और देखने में भी अजीब लगती है… हालांकी अब यह समस्या बीते कल की बात हो गई है क्योंकि अब हम खाने में आयोडीन वाला नमक इस्तेमाल करते हैं …
पहले हम साधारण खान के नमक का इस्तेमाल करते थे और हिमालय क्षेत्र में Goiter या गिल्हड़ आम बीमारी थी!

थायराइड के इलाज के लिए सलाह –

सही समय पर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से जांच करवा कर थायराइड को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। जीवनशैली में कुछ बदलाव, नियमित दवाओं के सेवन और समय-समय पर चेकअप की मदद से थायराइड को नियंत्रित एवं इसे कोई गंभीर रूप लेने से रोक सकते हैं।

सौजन्य

डा रमेश चन्द
उप निदेशक स्वास्थ विभाग,

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