हमीरपुर। कोरोना काल की इस घड़ी में भी अपनी जिम्मेवारी से मुंह छिपा रही प्रदेश सरकार पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने आरोप लगाया है कि इस सरकार में जबावदेही लेने की संस्कृति पनपी ही नहीं है। अगर कोई व्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठाए तो उन्हें डराने-धमकाने का प्रयास किया जाता है।
उन्होंने कहा कि इस समय स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करना चाहिए था, लेकिन सरकार का विजन ही कमजोर व आधारहीन बन गया है।
जारी प्रैस विज्ञप्ति में राजेंद्र राणा ने चिंता जाहिर की कि हिमाचल के 3 प्रमुख मैडीकल कॉलेजों में सीटी स्कैन और एमआरआई की सुविधा नहीं है। हमीरपुर में 8 महीनों से मशीन खराब पड़ी है, जबकि चंबा में मशीन की खरीद बजट के फेर में फंसी हुई है, जिसके लिए 10 करोड़ एनजेपीसी ने दिया हुआ है तथा 5 करोड़ और देने को तैयार है।
केवल 5 करोड़ रूपए सरकार से चाहिए और आर्डर प्लेस हो जाएगा। बाकायदा इसके लिए 3 माह पहले टैंडर भी हो चुका है, फिर भी विडंबना यही है कि सरकार की लापरवाही जारी है और कोई भी फैसला में असमर्थ रही है।
उन्होंने कहा कि टांडा मैडीकल कालेज में भी मशीन 7 महीनों से खराब है, लेकिन नई मशीन की खरीद पर सरकार अंतिम फैसला तक नहीं ले पा रही है, जबकि स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि पिछले सप्ताह होने वाली बैठक में अंतिम फैसला लिया जाएगा मगर हुआ नहीं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने टैंट (तिरपाल) से तैयार होने वाले 200 बिस्तर वाले मेक शिफ्ट अस्पताल जिला मंडी, कांगड़ा व सोलन में अस्थाई बनाए हैं, ताकि ज्यादा मरीज होने पर उन्हें उपचार के लिए यहां शिफ्ट किया जाए।
यहां प्रति बिस्तर प्रतिदिन का किराया 1950 है। ऐसे समय में जब होटल जगत पूरी तरह तबाह हो चुका है, करोड़ों रूपए खर्च कर ऐसे अस्थाई अस्पताल बनाने की बजाए निजी होटलों को इस काम के लिए हायर करना चाहिए था, होटल उद्योग बर्बाद होने से उबरते और होटलों के जरिए आजीविका कमा रहे लाखों परिवारों का भी भला होता।