शिमला। रेहड़ी फड़ी तहबाजारी यूनियन शिमला सम्बन्धित सीटू का सम्मेलन किसान मजदूर भवन चिटकारा पार्क कैथू शिमला में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में 15 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया।
सुरेंद्र बिट्टू को अध्यक्ष,राकेश कुमार सल्लू को महासचिव, नरेश कुमार को वित्त सचिव, दर्शन को उपाध्यक्ष, शब्बू आलम को सचिव तथा ज्ञान, बसन्त, श्याम लाल, विष्णु, राम शंकर, परस राम, मनोज,तबारसु राम, विमल, महक सिंह व इंद्र को कमेटी का सदस्य चुना गया।
सम्मेलन का उद्घाटन सीटू जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा ने किया। सम्मेलन को सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, जिला महासचिव अजय दुलटा,बालक राम, हिमी देवी व रामप्रकाश ने सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लगातार मजदूरों के कानूनों पर हमले कर रही है।
इसी कड़ी में मोदी सरकार ने मजदूरों के चबालिस कानूनों को खत्म करके चार लेबर कोड बनाने,सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेश व निजीकरण के निर्णय लिए हैं।
उन्होंने ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली,आउटसोर्स नीति बनाने, स्कीम वर्करज़ को नियमित कर्मचारी घोषित करने,मनरेगा मजदूरों के लिए 350 रुपये दिहाड़ी लागू करने आदि विषयों पर केंद्र व प्रदेश सरकार की मज़दूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों की कड़ी आलोचना की है।
उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार पूंजीपतियों के हित में कार्य कर रही है व मजदूर विरोधी निर्णय ले रही है। पिछले सौ सालों में बने चौबालिस श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताएं अथवा लेबर कोड बनाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
इस क्रम में वर्ष 2014 के रेहड़ी फड़ी तयबजारी के कानून को भी खत्म करने की साज़िश रची जा चुकी है। कोरोना काल में जहां दो वर्ष तक रेहड़ी फड़ी तहबाजारी का कार्य करने वाले पूरी तरह बर्बाद हो गए। वहीं दूसरी ओर उनके कानून पर हमला करके केंद्र सरकार ने अपनी तानाशाही प्रवृत्ति को घोषित कर दिया।
उन्होंने नगर निगम शिमला व हिमाचल सरकार को चेताया है कि अगर आजीविका भवन की दुकानों को रेहड़ी फड़ी तहबाजारी वालों के अलावा किसी और को वितरित किया गया तो यूनियन आंदोलन तेज करेगी।