शिमला। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि वर्ष 2047 तक अमृत काल की अवधि में हमें स्वदेशी से आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ना है। इसमें चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और एमएसएमई की भूमिका अहम होगी, जो देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में मददगार साबित हो सकती है।
राज्यपाल शिमला गेयटी थिएटर में इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की एनआईआरसी की हिमाचल प्रदेश शाखा और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) एवं स्टार्ट-अप समिति द्वारा आयोजित ‘आईसीएआई एमएसएमई यात्रा’ के अवसर पर बोल रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री हमारी क्षमताओं को जानने के बाद ही कुछ विषयों को सामने रखते हैं। हमने उनकी मंशा और अपने दृढ़ संकल्प को कई बार देखा है। कोविड काल का उदाहरण हमारे सामने है।
आर्लेकर ने कहा कि जब प्रधानमंत्री कहते हैं कि आत्मनिर्भर भारत होना चाहिए तो यह हम सबका सपना होना चाहिए। इसके लिए हमारे समाज को आत्मनिर्भर बनना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के बाद अब हम अमृत काल में प्रवेश कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि 25 साल बाद जब हम आजादी के 100 साल मना रहे होंगे तो वह दौर कैसा होगा?
उसमें सीए और एमएसएमई की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। उन्होंने कहा कि इन 25 वर्षों में हम अपने लिए कोई भी लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं और इसके लिए हम स्वदेशी अपना सकते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि देश के विकास और अर्थव्यवस्था में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स का महत्वपूर्ण योगदान है। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की पहल की सराहना करते हुए आर्लेकर ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से संस्थान ने नए उद्योगों को प्रोत्साहित करने, उन्हें विकास यात्रा में शामिल करने तथा उनकी समस्याओं को हल करने का कार्य किया है, जिसके लिए यह संस्थान बधाई का पात्र है।
उन्होंने कहा कि चार्टर्ड अकाउंटेंट्स पेशे का सीधा संबंध देश के विकास से है और अगर देश आगे बढ़ेगा तो यह पेशा भी बढ़ेगा।
सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग के उपाध्यक्ष तथा आईसीएआई के केंद्रीय परिषद सदस्य डॉ राज चावला ने कहा कि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान आईसीएआई एमएसएमई यात्रा-75 दिन के तहत देश भर में 75 कार्यक्रम आयोजित कर रहा है और देश भर में आईसीएआई एमएसएमई सेतु महत्वाकांक्षी जिलों में आईसीएआई और एमएसएमई के बीच संबंध स्थापित कर रहा है।
उन्होंने चार्टर्ड एकाउंटेंट पेशे की उपयोगिता पर बल देते हुए कहा कि इस पेशे ने देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में 30 से 32 प्रतिशत का योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई के माध्यम से नए स्टार्ट-अप को काफी प्रोत्साहन दिया जा रहा है और मंत्रालय द्वारा उन्हें व्यापक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
उन्होंने कहा कि आईसीसीआई की 186 शाखाएं हैं और इस यात्रा में करीब 10 हजार लोगों ने पंजीकरण कराया है। उन्होंने एमएसएमई द्वारा लागू की जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने की अपील की और कहा कि इससे ही हम आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ सकते हैं।
सहायक निदेशक, एमएसएमई शैलेश कुमार ने कहा कि कृषि क्षेत्र के बाद एमएसएमई रोजगार पैदा करने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र है। एमएसएमई द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की पूरी जानकारी प्राप्त कर इन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।