रक्तदान शिविर पर उमंग और स्वास्थ्य विभाग आपने सामने

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शिमला। स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले सोलन में स्वास्थ्य विभाग और उमंग फाउंडेशन आमने सामने आ गए हैं। हाल ही में उमंग फाउंडेशन को जिले में रक्तदान शिविर की मंजूरी देने से मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जिला प्रशासन ने साफ इनकार कर दिया था।

इस पर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई गई। अब सीएम हेल्पलाइन से जवाब मिला है, “सोलन के ब्लड बैंक ऑफिसर ने 14 जनवरी को ही शिविर लगाने की मंजूरी दे दी थी।”

उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो अजय श्रीवास्तव ने कहा, “यह हैरानी की बात है। हमने तो सोलन ब्लड बैंक से 16 जनवरी को नालागढ़ में रक्तदान शिविर लगाने की मंजूरी मांगी ही नहीं थी।

हमें आईजीएमसी ब्लड बैंक के साथ मिलकर कैंप लगाना था और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट में कोई ब्लड बैंक रक्तदान शिविर लगाने की अनुमति देने के लिए सक्षम ही नहीं है।”

उन्होंने कहा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी और नालागढ़ के एसडीएम ने स्वास्थ्य सचिव के 20 मार्च, 2020 और 17 मई 2021 के स्पष्ट निर्देशों का उल्लंघन करते हुए मंजूरी देने से साफ मना कर दिया था।

मंजूरी दिए जाने के बारे में सीएम हेल्पलाइन से मिला जवाब सोलन जिले के स्वास्थ्य विभाग को हंसी का पात्र बना देता है। यदि ऐसी कोई अनुमति दी गई थी तो रक्तदान शिविर आयोजकों को सूचित क्यों नहीं किया गया? इससे पता चलता है कि स्वास्थ्य विभाग किस तरह काम कर रहा है।

सोलन के मुख्य चिकित्सा अधिकारी राजेश उप्पल ने स्वयं मीडिया से कहा था कि कोविड-19 के मामलों को देखते हुए उन्होंने रक्तदान शिविर की मंजूरी नहीं दी।

मुख्यमंत्री तक से शिकायत होने के बाद उन्होंने पैंतरा बदल दिया और ब्लड बैंक ऑफिसर द्वारा कथित अनुमति दिए जाने की बात सामने आई है।

प्रो अजय श्रीवास्तव ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग खुद गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है। प्रदेश में ब्लड बैंकिंग व्यवस्था चौपट हो चुकी है। आईजीएमसी एवं अन्य बड़े ब्लड बैंकों में रक्त का गंभीर संकट है।

इसके बावजूद स्वास्थ्य मंत्री, नौकरशाही और ब्लड बैंकों को खून की कमी से जूझ रहे मरीजों की कोई परवाह नहीं है।

उन्होंने कहा कि पहले भी इस तरह की प्रशासनिक दिक्कतें आने पर उन्होंने मुख्यमंत्री से बात की थी तब समस्याओं का समाधान हुआ था।

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