राज्यपाल ने महात्मा गांधी के आदर्शों को अपनाने का किया आग्रह

Spread with love

शिमला। राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज 79वें भारत छोड़ो आन्दोलन दिवस, जो संयोगवश भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ और आजादी के अमृत महोत्सव के साथ ही मनाया जा रहा है, के अवसर पर छः दिवसीय प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में गांधी इन शिमला पुस्तक का विमोचन किया।

हिमाचल राज्य संग्रहालय द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शिमला शहर और लोगों के साथ महात्मा गांधी के संबंधों को प्रदर्शित करने के लिए एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।

यह पुस्तक प्रसिद्ध लेखक एवं स्तंभकार तथा सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग हिमाचल प्रदेश के सेवानिवृत वरिष्ठ सम्पादक विनोद भारद्वाज द्वारा लिखी गई है। इस पुस्तक को हिमाचल प्रदेश राज्य संग्राहलय शिमला द्वारा प्रकाशित किया गया है।

प्रदर्शनी का शुभारम्भ तथा पुस्तक का विमोचन करने के उपरान्त राज्यपाल ने देश के उन महान सपूतों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने हमें स्वतंत्रता का उपहार देने के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी।

उन्होंने कहा कि देश के सामाजिक मूल्यों और अखंडता को अक्षुण रखना सभी भारतीयों का नैतिक कर्तव्य है। उन्होंने लोगों विशेषकर युवाओं से महात्मा गांधी के आदर्शों का अनुसरण करने का आग्रह किया।

राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल के लोगों का देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। धामी गोलीकांड, पझौता आन्दोलन और सुकेत सत्याग्रह भारत के इतिहास के गौरवशाली अध्याय हैं। धर्मशाला के समीप खनियारा गांव के निवासी कैप्टन राम सिंह द्वारा रचित राष्ट्रीय गान की प्रेरक धुन हम सभी को गौरवान्वित करती है।

राज्यपाल ने हिमाचल राज्य संग्रहालय और भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा महात्मा गांधी जी की शिमला यात्रा को प्रदर्शित करती हुई अदभुत प्रदर्शनी लगाने के प्रयासों की सराहना की।

उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी और पुस्तक लोगों और शोधकर्ताओं को गांधी जी के इस ऐतिहासिक शहर से संबंधों की जानकारी प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगी।

उन्होंने कहा कि हमें गांधी जी के जीवन से शिक्षा लेने की आवश्यकता है। उनकी सादगी और उच्च विचार वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं।

निदेशक भाषा, कला एवं संस्कृति डाॅ पंकज ललित ने प्रदर्शनी का उद्घाटन और पुस्तक का विमोचन करने के लिए राज्यपाल का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस अवसर पर विभाग की विभिन्न गतिविधियों और हिमाचल राज्य संग्रहालय द्वारा प्रदर्शित प्रकाशनों का विवरण भी दिया।

प्रदर्शनी के प्रथम खण्ड में 50 पैनल लगाए गए हैं, जबकि दूसरे खण्ड में गांधी जी के शिमला के बारे में विचार, स्टोक्स के साथ उनकी मित्रता, बेगार प्रणाली और गांधी, कोटगढ़ के सेब और शहद का स्वाद, धामी गोलीकांड व गांधी, शिमला में गांधी की रैलियों के स्थल, लाइन आफ पंजाब व गांधी, माई एम्बिशन, मनोरविला में बापू का कमरा और चैडविक हाउस जहां गांधी आखरी बार रूके थे, को प्रदर्शित किया गया है।

प्रदर्शनी में अखबारों के दुर्लभ पन्ने भी रखे गए हैं। यह प्रदर्शनी 15 अगस्त, 2021 तक जारी रहेगी।

गांधी इन शिमला पुस्तक वर्ष 1921 से 1946 तक गांधी जी की इम्पीरियल शिमला की दस यात्राओं पर आधारित है। इसके 251 पृष्ठों में 24 अध्याय हैं और उस समय के दुर्लभ चित्र और दस्तावेज शामिल हैं।

यह पुस्तक केवल गांधी जी की यात्राओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पहाड़ी क्षेत्र के प्राचीन इतिहास, गोरखा युद्ध, पहाड़ी क्षेत्र में अंग्रेजों के आगमन, हिल स्टेशनों के निर्माण, राजनीतिक परिस्थितियों के कारण महात्मा गांधी तथा अन्य प्रमुख नेताओं की शिमला यात्रा पर भी प्रकाश डाला गया है।

पुस्तक में अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं, शिमला में प्रथम राजनीतिक हलचल, गांधी जी द्वारा माल रोड पर कार और रिक्शा का उपयोग तथा उस दौरान गरीब लोगों की दुर्दशा का विवरण भी शामिल हैं।

उनके साक्षात्कार, वायसराय, सरकारी अधिकारियों और स्थानीय नेताओं के साथ उनकी बैठकें और प्रार्थना सभाओं के विस्तृत कालानुक्रमिक विवरण इस पुस्तक को अधिक मनोरंजक बनाते हैं।

सैमुअल इवानज स्टोक्स के साथ गांधी जी के सम्बंधो को प्रदर्शित करने वाला एक समर्पित अध्याय शामिल किया गया है। सैमुअल इवानज स्टोक्स को स्वतंत्रता संग्राम में सत्यानंद स्टोक्स के रूप में जाना गया।

स्टोक्स ने पहाड़ी क्षेत्रों में सत्याग्रह और अहिंसा की शक्ति का उपयोग करके बेगार प्रणाली को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। धामी गोली कांड, रामपुर बुशहर और चम्बा के राजा पर गांधी जी के विचार पढ़ने योग्य हैं।

1921 में ईदगाह मैदान में और 1931 में ऐतिहासिक रिज मैदान पर गांधी जी की रैलियां और उनके भाषण लेखक के दुर्लभ संकलन हैं।

सोलन छावनी में विद्रोह के बाद कैद आयरिश सैनिकों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए 1920 में सोलन के पास डगशाई छावनी में गांधी जी की यात्रा लेखक की एक अनूठी खोज है।

1921 में शिमला पर गांधी जी का विशेष लेख, फाइव हंड्रेडथ स्टोरी में प्राचीन शिमला और उसकी समस्याओं का विवरण दिया गया है।

इस पुस्तक में शान्ति कुटीर, फर ग्रूव, काॅर्टन ग्रूव, मैनोरविले, गांधी जी के ठहरने का स्थान चैडविक हाउस और वाइसरीगल लाॅज, एवा लाॅज, बैनमोर जहां गांधी जी ने शिमला में अपनी यात्रा के दौरान दौरा किया था, का विवरण दिया गया है।

गांधी जी के सहयोगी जैसे मेला राम सूद, स्वामी कृष्णानंद, राज कुमारी अमृत कौर, महाशय तीर्थ राम, प्रो अब्दुल मजीद खान, सरदार शोभा सिंह, नोराह रिचडर््स और धर्मगुरू दलाई लामा का विवरण भी इस पुस्तक में दिया गया है।

गांधी जी पर इस शोध कार्य ने चैडविक हाउस में गांधी जी के प्रवास के सम्बन्ध में राष्ट्रीय लेखा परीक्षा और लेखा अकादमी, (एनएएए) को प्रमाणिक रिकाॅर्ड प्रदान करने में सहायता की, जहां 1950 में एनएएए के प्रथम बैच को प्रशिक्षित किया गया था।

अब भारत सरकार ने इस ऐतिहासिक भवन को स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी के योगदान और संस्थान के गौरवशाली इतिहास को दर्शाते धरोहर स्थल के रूप में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: