राज्यपाल ने उत्तर क्षेत्र पर्यावरण कार्यशाला का किया उद्घाटन

Spread with love

शिमला। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में संरक्षित एवं संतुलित विकास की आवश्यकता पर बल देते हुए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि आज भारत पश्चिमी देशों की तुलना में सबसे कम कार्बन उत्सर्जित कर रहा है जबकि उनका पर्यावरण इतना असंतुलित है कि इसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है।

राज्यपाल आज राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हमीरपुर के सहयोग से आरोग्य भारती हिमाचल प्रदेश द्वारा आयोजित उत्तर क्षेत्र पर्यावरण कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पर्यावरण शिखर सम्मेलन में कहे गए शब्दों, ”पर्यावरण संरक्षण हमारी प्रतिबद्धता है न कि मजबूरी“, को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में पेड़-पौधों का धार्मिक महत्व है और हम उनकी पूजा करते हैं।

राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने राजभवन में तुलसी का पौधा लगाकर पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश का पर्यावरण स्वच्छ एवं स्वस्थ है और यहां पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध है।

हमें अपने हरित आवरण को संरक्षित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन के लिए हमें रसायन मुक्त कृषि पद्धति को पुनः अपनाकर मोटे अनाजों की खेती की ओर लौटना होगा।

उन्होंने कहा कि आज जलवायु परिवर्तन वैश्विक चिंता का विषय है, जिसका सीधा असर हम पर भी पड़ता है। उन्होंने कहा कि उत्तरी क्षेत्र में तेजी से हो रहे शहरीकरण, औद्योगीकरण, जनसंख्या वृद्धि और पर्यावरण क्षरण से जुड़ी अनियंत्रित मानवीय गतिविधियों के कारण पर्यावरण संतुलन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

इस क्षेत्र में वायु प्रदूषण सबसे बड़ी चिंता का विषय बन गया है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक उत्सर्जन, वाहन प्रदूषण आदि इस समस्या के कारक हैं। उन्होंने वायु प्रदूषण में कमी लाने के लिए सतत विकास को बढ़ावा देने और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर बल दिया।

राज्यपाल ने कहा कि पीने योग्य पानी की कमी आज एक बड़ी समस्या का रूप धारण कर विश्व के सामने चुनौती बनकर खड़ी है। हमें इस समस्या पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उत्तरी क्षेत्र की प्रमुख नदियों के जल स्रोत प्रदूषण, अति प्रयोग और अतिक्रमण से खतरे में हैं।

उन्होंने कहा कि वर्षा जल संचयन, अपशिष्ट जल उपचार और सामुदायिक जागरूकता अभियान भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थायी जल आपूर्ति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

उन्होंने उत्तरी क्षेत्र के कमजोर पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता की सुरक्षा पर भी जोर दिया और कहा कि वन्यजीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के आवासों के संरक्षण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वनों की कटाई, अवैध वन्यजीव व्यापार और आवास विनाश जैसी गतिविधियों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन भविष्य का बड़ा खतरा है और हिमालयी क्षेत्र ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के लिए विशेष रूप से संवेदनशील है। इसलिए, जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता बढ़ाने, सतत क्रियाओं को बढ़ावा देने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अधिकाधिक अपनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि हमारे सामूहिक प्रयासों से हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित, स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।

राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया भर के देशों के लिए एक प्रेरणास्रोत बनकर उभरा है। भारत ने सम्पूर्ण विश्व के समक्ष यह उदाहरण प्रस्तुत किया है कि आर्थिक विकास और पर्यावरण की सुरक्षा साथ-साथ चल सकती है।

इससे पूर्व, राज्यपाल ने एनआईटी परिसर में आंवले का पौधा भी रोपित किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: