हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार कर रही पुख्ता उपाय : मुख्यमंत्री

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शिमला। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यहां कहा कि नवगठित हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग अपने कामकाज व कार्यप्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और ग्रुप-सी पदों की भर्ती परीक्षाओं के संचालन के लिए ठोस उपाय सुनिश्चित करेगा।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता नीति अपनाई है और भर्ती प्रक्रिया में योग्यता को प्राथमिकता प्रदान करने के साथ-साथ भ्रष्ट आचरण पर रोक लगाने के उद्देश्य से चयन प्रक्रिया में उल्लेखनीय बदलाव किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आयोग अन्य राज्यों के समक्ष एक अनुकरणीय उदाहरण स्थापित करेगा। हाल ही में प्रदेश मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग के संदर्भ में प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियम बनाने को स्वीकृति प्रदान की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कम से कम मानवीय हस्तक्षेप सुनिश्चित करते हुए कम्प्यूटर के माध्यम से स्वचालित प्रक्रिया द्वारा प्रश्न-पत्र सेट किए जाएंगे।

पात्र उम्मीदवारों को एक बार पंजीकरण की सुविधा प्रदान की जाएगी और इसके उपरांत वे विभिन्न रिक्तियों के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। पंजीकृत अभ्यार्थी को आयोग के डैशबोर्ड पर रिक्तियों सम्बंधी विभिन्न अधिसूचना एवं विज्ञापन भी उपलब्ध होंगे।

आवेदन प्राप्त होने के उपरांत आयोग आवेदन-पत्रों की जांच कर उनकी यूजर आईडी के आधार ई-एडमिट कार्ड तैयार करेगा। उम्मीदवार यह ई-एडमिट कार्ड आसानी से डाउनलोड कर सकेंगे। अभ्यार्थी बार कोड और बायोमीट्रिक स्कैनिंग के माध्यम से ई-एडमिट कार्ड के सत्यापन के उपरांत ही परीक्षा केंद्रों में प्रवेश कर पाएगा।

राज्य चयन आयोग ऑनलाइन कंप्यूटर प्रक्रिया के माध्यम से सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में लिखित वस्तुनिष्ठ प्रकार की छंटनी परीक्षा आयोजित करने का निर्णय ले सकता है। उम्मीदवरों की सुविधा के लिए सामान्य पात्रता परीक्षा या कम्प्यूटर आधारित टेस्ट आयोजित करवाए जाएंगे।

इसके अतिरिक्त उम्मीदवारों को परीक्षा पैटर्न से परिचित करवाने के लिए ऑनलाइन अभ्यास लिंक भी उपलब्ध करवाए जाएंगे।

ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पूर्व सरकार ने राज्य के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया और प्रश्न-पत्रों की खरीद-फरोख्त के आरोपों के कारण तत्कालीन हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को भंग कर दिया गया था।

सतर्कता जांच के दौरान आयोग के कामकाज में भ्रष्टाचार के संकेत मिले थे। उन्होंने कहा कि अब वर्तमान प्रदेश सरकार युवाओं के हितों की रक्षा सुनिश्चित करते हुए स्वच्छ एवं पारदर्शी प्रशासन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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