हिमाचल। प्रदेश लोक निर्माण विभाग द्वारा राज्य में विकासात्मक कार्यों को गति प्रदान करने के लिए नवोन्मेषी प्रयासों के साथ सकारात्मक पहल की गई है।
विभाग द्वरा निविदा प्रक्रिया की नई समयावधि निर्धारित किये जाने से सुशासन से विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है। इससे विभाग की कार्यप्रणाली और परियोजनाओं के कार्यान्वयन में भी प्रभावशाली बदलाव आएगा।
किसी भी विकास कार्य को पूरा करने में निविदा प्रक्रिया सबसे अहम होती है। पूर्व में लोक निर्माण विभाग द्वारा निविदा प्रक्रिया को पूर्ण करने में लगभग 60 दिन का समय लग जाता था। अब विभाग द्वारा इसके लिए नई समय सीमा निर्धारित की गई है जो कि पहले की समयावधि के मुकाबले में लगभग आधी है।
पहले निविदा प्रक्रिया में 60 दिन का समय लग जाता था। अब विभाग ने नई समय सीमा निर्धारित की है, जिसके अनुसार निविदा ऑनलाइन रूप में प्राप्त करने के लिए 10 दिन की अवधि होगी। निविदाएं प्राप्त करने के 10 दिन के भीतर अधिशाषी अभियंता द्वारा स्वीकृति पत्र (अवार्ड लेटर) जारी किया जाएगा।
यानि ऑनलाइन प्रकाशन के 20 दिन के भीतर अवार्ड लेटर जारी हो जाएगा। यदि मामला 2 करोड़ रुपये से ऊपर अधीक्षण अभियंता के स्तर का हो तो 10 दिन निविदा प्राप्त करने के लिए, 7 दिन अधिशाषी अभियंता के स्तर पर प्रक्रिया के लिए और 10 दिन अधीक्षण अभियंता के स्तर पर प्रक्रिया के लिए निर्धारित किए गए हैं। यानि ऑनलाइन प्रकाशन के 27 दिन के भीतर अवार्ड लेटर जारी हो जाएगा।
यदि मामला 6 करोड़ रुपये से ऊपर मुख्य अभियंता के स्तर का है तो 10 दिन निविदा प्राप्त करने के लिए, 7 दिन अधिशाषी अभियंता के स्तर पर, 5 दिन अधीक्षण अभियंता के स्तर पर और 8 दिन मुख्य अभियंता के स्तर पर प्रक्रिया के लिए निर्धारित किए गए हैं। यानि ऑनलाइन प्रकाशन के 30 दिन के भीतर अवार्ड लेटर जारी हो जाएगा।
नई निविदा प्रक्रिया में फील्ड स्तर पर तैनात अभियंताओं की वित्तीय शक्तियां भी बढ़ाई गई हैं। अभियंताओं की वित्तीय शक्तियां बढ़ाने से जहां समय की बचत होगी, वहीं विकासात्मक कार्य भी शीघ्र पूर्ण होंगे।
इस प्रक्रिया में निहित उद्देश्यों में पारदर्शिता सबसे महत्वपूर्ण अंग है। यदि किसी स्तर पर निर्धारित समयावधि का पालन नहीं किया गया तो सम्बन्धित अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
इससे फील्ड में अधिकारियों की दक्षता भी बढ़ेगी और उनकी कार्यप्रणाली तथा प्रदर्शन का मूल्यांकन भी सहजता से संभव होगा। किसी भी विकास कार्य में प्रथम चरण पर ही प्रबन्धन की कमियों के कारण उसके निहित परिणाम प्रभावित होते हैं। निविदा प्रक्रिया में इस सकारात्मक बदलाव से विकास कार्यों को शुरूआत से ही गति मिलेगी।
पारदर्शिता व संवेदनशीलता सुनिश्चित करने की समग्र सोच से निविदा प्रक्रिया में किए गए ये सुधार वास्तव में प्रदेश की विकास यात्रा को निश्चित रूप से नया आयाम प्रदान करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।