शिमला। स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने यहां बताया कि कोविड राज्य सरकार महामारी की संभावित तीसरी लहर के दृष्टिगत बच्चों की सुरक्षा और बच्चों के कोविड मामलों के लिए व्यवस्था करने को प्राथमिकता दे रही है।
उन्होंने कहा कि बच्चों की चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था के लिए 3 मई, 2021 को जिलों और मेडिकल काॅलेजों को पहले ही प्रोटोकाॅल भेजा जा चुका है। इस महामारी के दौरान बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करने के दृष्टिगत स्वास्थ्य विभाग प्रभावी कदम उठा रहा है।
प्रवक्ता ने बताया कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है, कि एसएनसीयू, पीडियाट्रिक एचडीयू, एनआईसीयू, पीआईसीयू को प्राथमिकता के आधार पर कार्यशील किया जाए।
सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, मेडिकल काॅलेजों के प्रधानाचार्यो और जिला अस्पतालों, नागरिक अस्पतालों और मेडिकल काॅलेजों के चिकित्सा अधीक्षकों को निर्देश दिए गए है कि वे समर्पित कोविड अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं में वृद्धि करके या उपलब्ध सुविधाओं में बिस्तरों को चिह्नित कर बाल चिकित्सा वार्ड और नवजात इकाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
इन बिस्तरों को केंद्रीय आक्सीजन आपूर्ति भी सुनिश्चित की जाए। वर्तमान में प्रदेश में 16 स्वास्थ्य संस्थानों में 224 एसएनसीयू बिस्तर उपलब्ध हैं।
इसके अलावा, डीडीयू शिमला, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नालागढ़ और जिला कांगड़ा के नागरिक अस्पताल नूरपुर व जोनल अस्पताल धर्मशाला में चार नवजात स्थिरीकरण (स्टेबलाइजेशन) इकाईयों को जल्द ही बीमार नवजात देखभाल इकाईयों के रूप में स्तरोन्नत किया जाएगा।
राज्य में सात बाल रोग उच्च निर्भरता इकाइयां (पीडियाट्रिक हाई डिपेन्डेन्सी यूनिट) भी हैं, जिनमें 34 बिस्तर उपलब्ध हैं।
उन्होंने बताया कि सभी स्तरों पर नवजात और बाल रोगियों के लिए एक उपयुक्त आपातकालीन जांच क्षेत्र और उपचार सेवाएं सृजित करने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि उपचार से संबंधित सभी आवश्यक सुविधाएं जैसे उपचार में उपयोग होने वाली वस्तुएं, आॅक्सीजन स्पोर्ट, रेफरल स्पोर्ट, टेलीमेडिसिन सुविधा आदि सुनिश्चित की जा रही हैं।
बाल रोग विशेषज्ञों, चिकित्सा अधिकारियों, बाल चिकित्सा देखभाल के लिए तैनात की जाने वाली नर्सों आदि के लिए भी अस्पताल प्रभारी द्वारा योजना तैयार की जाएगी। विभाग ने एसएनसीयू में सभी अक्रियाशील उपकरणों को जल्द से जल्द क्रियाशील करने के भी निर्देश दिए हैं।