शिमला। शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने आज यहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रदेश में क्रियान्वयन संबंधित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्नवयन में देश के अग्रणी राज्यों में से एक है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के चयनित विद्यालयों में छठीं, सातवीं और आठवीं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए प्री-वोकेशनल शिक्षा आरम्भ की गई है और इसके अन्तर्गत विद्यालयों को बजट आवंटित किया गया है।
प्रदेश के विद्यार्थियों को विस्तृत रूप से प्री-वोकेशनल ट्रेनिंग प्रदान करने के लिए विद्यार्थियों की स्किल मैपिंग की जाएगी। इससे विद्यार्थियों को उच्चतर कक्षाओं मेें विषय विशेष का चयन करने में सहायता मिलेगी।
विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने में प्रदेश से संबंधित आवश्यकताओं और संबंधित जिलों पर आधारित विषयों को ध्यान में रखकर वोकेशनल ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि वोकेशनल विषयों को पाठ्यक्रम आधारित न रखकर गतिविधियों आधारित रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के 140 महाविद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जा रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अन्तर्गत प्रदेश के महाविद्यालयों को बहुविषयक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्नवयन सुनिश्चित करने के लिए टास्क फोर्स के सदस्यों को बढ़ाकर 21 किया जाएगा। एनईपी के अन्तर्गत प्रदेश से सम्बन्धित विषयों का प्रारूप तैयार करने के लिए प्राथमिक और उच्चतर शिक्षा से सम्बन्धित विशेषज्ञों की स्टेरिंग कमेटी गठित की गई है।
उन्होंने अधिकारियों को राज्य से सम्बन्धित पाठ्यक्रम का प्रारूप तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को विषय विशेष से सम्बन्धित विशेषज्ञों का एक डाटा बैंक तैयार करने के निर्देश दिए।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश एनईपी के सफल क्रियान्वयन की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि स्टार परियोजना के अन्तर्गत राज्य के आठ जिलों में परामर्श कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं और शीघ्र ही अन्य जिलों में भी इन कार्यशालाओं का आयोजन करवाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों को एनईपी से सम्बन्धित जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए जिलों के साथ-साथ खण्ड स्तर पर भी यह कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।