हिमाचल का पहला प्राकृतिक खेती उत्पाद विक्रय केंद्र शुरू

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हिमाचल। प्रदेश में प्राकृतिक खेती उत्पाद का पहला विक्रय केंद्र गुरूवार को शुरू हो गया। कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने शिमला जिला के ओल्ड बैरियर में पहले प्राकृतिक खेती उत्पाद विक्रय केंद्र का शुभारंभ किया।

इसके साथ ही कृषि मंत्री मे प्राकृतिक खेती आधारित स्व प्रमाणीकरण प्रणाली की बेवसाइट को भी लांच किया।
इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश में डेढ़ लाख से अधिक किसान-बागवान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं।

इन किसान-बागवानों के उत्पादों को बाजार मुहैया करवाने और उपभोक्ता तक पोषणयुक्त उत्पाद पहुंचाने के लिए यह अपनी तरह का पहला प्रयास है। शिमला के बाद अब प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में भी इसी तर्ज पर प्राकृतिक खेती उत्पाद विक्रय केंद्र खोले जाएंगे।

उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे प्राकृतिक खेती के अधीन उत्पाद बढ़ेगा वैसे-वैसे हम इसे ग्रामीण इलाकों तक भी पीडीएस सिस्टम के माध्यम से पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश ने प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के प्रमाणीकरण के लिए अनूठी पहल करते हुए एक स्वप्रमाणीकरण प्रणाली विकसित की है।

सितारा नाम से पहचानी जाने वाली यह प्रणाली देशभर में प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के प्रमाणीकरण के लिए प्रयोग में लाई जाएगी। इस मौके पर प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों को स्वप्रमाणीकरण प्रणाली के तहत प्रमाण पत्र भी दिए गए।

वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम से जुड़ी फ्रांस की कृषि विशेषज्ञ डॉ. एलिसन ने कहा कि प्रदेश सरकार का यह कदम सराहनीय है और प्राकृतिक खेती आधारित सतत खाद्य प्रणाली को आगे बढ़ाने के लिए सरकार एवं विभागीय स्तर पर प्रयासों में तेजी लानी होगी।

इस अवसर पर प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक नरेश ठाकुर ने कहा कि इस विक्रय केंद्र में सभी तरह की फल सब्जियां और अनाज उपभोक्ताओं को मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत इस वर्ष 100 गांवों को प्राकृतिक खेती के मॉडल गांव के रूप में विकसित किया जा रहा है और प्रदेश की सभी पंचायतों में प्राकृतिक खेती के उतकृष्ट मॉडल खड़े किए जा रहे हैं जिन्हें मार्च 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

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