पीएम मोदी की अगुवाई में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के साथ-साथ एक रणनीतिक शक्ति भी बना : डॉ सिकंदर

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शिमला। भाजपा जिला शिमला की एक बैठक का आयोजन दीप कमल चक्कर में हुआ। इस बैठक में भाजपा प्रदेश महामंत्री एवं राज्यसभा सांसद डॉक्टर सिकंदर कुमार विशेष रूप से उपस्थित रहे।

बैठक का विषय केंद्र सरकार के 11 वर्ष था जिसको संबोधित करते हुए डॉक्टर सिकंदर कुमार ने कहा कि दूरदर्शिता से प्रेरित, ऊर्जा से संचालित भारत कुछ दिन पहले ही जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया गया है।

वर्ष 2014 से, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत की जीडीपी 2025 में दोगुनी से अधिक बढ़कर 4.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो चुकी है। यह सुधारों, उदारपूर्ण नीति और आत्मनिर्भरता की निरंतर खोज पर केंद्रित एक दशक लंबी रणनीति का परिणाम है।

भारत न केवल दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया है, बल्कि एक रणनीतिक शक्ति भी बन चुका है। इस वृद्धि का अभिन्न अंग ऊर्जा क्षेत्र, मोदी 3.0 के पहले वर्ष के दौरान एक संरचनात्मक परिवर्तन से गुजरा है, जो पिछले दस वर्षों के आधारभूत परिवर्तन पर आधारित है।

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछली तिमाही में भारत की 6.7 प्रतिशत की विकास दर ने इसे एक ऐसे तेजी से बढ़ते ग्राफ पर ला दिया है, जिसे आने वाले वर्षों में कोई भी अन्य देश हासिल करने की उम्मीद नहीं कर सकता।

भारत अब वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा और तेल उपभोक्ता, चौथा सबसे बड़ा रिफाइनर और चौथा सबसे बड़ा एलएनजी आयातक है। वर्ष 2047 तक ऊर्जा की मांग में ढाई गुना वृद्धि होने की आशा है और भारत से की जाने वाली वैश्विक मांग में 25 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है।

इसलिए रोडमैप स्पष्ट है, ऊर्जा सुरक्षा ही विकास सुरक्षा है। मोदी सरकार की ऊर्जा रणनीति चार-आयामी दृष्टिकोण के माध्यम से उपलब्धता, सामर्थ्य और स्थिरता के रूप में ऊर्जा की त्रिपक्षीय विविधता को दशार्ती है जिसमें स्रोतों और आपूर्तिकर्ताओं का विविधीकरण, घरेलू उत्पादन का विस्तार, नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन और सामर्थ्य शामिल है।

तेल और गैस उत्पा दन क्षेत्र की प्रारंभिक प्रक्रिया में, भारत का अन्वेषण क्षेत्र वर्ष 2021 में 8 प्रतिशत से दोगुना होकर वर्ष 2025 में 16 प्रतिशत हो गया है।

वर्ष 2030 तक 1 मिलियन वर्ग किमी को कवर करने के लक्ष्य के साथ, सरकार का लक्ष्य 42 बिलियन टन तेल और तेल-समतुल्य गैस का अन्वेषण करना है।

यह विस्तार ऐतिहासिक सुधारों जैसे कि ‘नो-गो’ क्षेत्रों में 99 प्रतिशत की कमी, ओएएलपी राउंड के माध्यम से सुव्यवस्थित लाइसेंसिंग और नए गैस कुओं के लिए आकर्षक मूल्य निर्धारण प्रोत्साहन द्वारा सक्षम किया गया है।

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