जिला के सभी मंदिरों में पत्तल पर लंगर परोसने की है योजना
शिमला। शिमला के स्थित ऐतिहासिक तारादेवी मंदिर में हरी पत्तल में श्रद्धालुओं को लंगर परोसे जाने की सफलता के बाद अब संकट मोचन मंदिर में भी लंगर पत्तल में परोसा जायेगा।
आगामी 1 सितम्बर से इसकी शुरुआत की जाएगी। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने जानकारी देते हुए कहा कि जिला ग्रामीण विकास प्राधिकरण के आधीन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सुन्नी खंड में कार्य कर रहे सक्षम क्लस्टर लेवल फेडरेशन बसंतपुर को पत्तल बनाने का जिम्मा दिया गया है।
उपायुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन की योजना जिला के सभी मंदिरों में पत्तल पर लंगर परोसने की है और इसी के तहत प्रथम चरण में इसकी शुरुआत 14 जुलाई से तारादेवी मंदिर में की गई थी।
अब दूसरे चरण में संकट मोचन मंदिर में पत्तल पर लंगर परोसा जायेगा और इसकी शुरुआत 1 सितंबर से होगी जिसके लिए फेडरेशन को 4000 पत्तल तैयार करने को कहा गया है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में तथा स्वयं सहायता समूहों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से प्रयासरत है।
सक्षम क्लस्टर लेवल फेडरेशन बसंतपुर के प्रतिनिधियों ने उपायुक्त को पत्तलों के उत्पादन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि फेडरेशन द्वारा तारादेवी मंदिर को हर सप्ताह शुक्रवार को 4000 पत्तल दिए जा रहे हैं और अभी तक 18 हजार पत्तल तारादेवी मंदिर को दिए गए हैं, जिससे महिलाओं को आर्थिक लाभ मिला है।
इसी कड़ी में अब संकट मोचन मंदिर में भी हर सप्ताह शुक्रवार को 4000 पत्तल दिए जायेंगे जो इन महिलाओं की आर्थिकी को और सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होगा।
फेडरेशन के प्रतिनिधियों ने उपायुक्त को बताया कि इस शुरुआत के बाद से पत्तल की मांग काफी बढ़ गई है।
आसपास के क्षेत्र में विवाह और अन्य समारोह में लोग अब पत्तल की मांग कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, नवरात्र और श्राद्ध के लिए भी एडवांस ऑर्डर प्राप्त होने शुरू हो चुके हैं।
फेडरेशन के प्रतिनिधियों ने बताया कि फेडरेशन में 2942 महिलाएं पत्तल बनाने का काम करती है तथा पत्तल की आकार, फिनिशिंग और गुणवत्ता को लेकर उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है।
रस्टिक विलेज किसान उत्पादक संगठन बसंतपुर तैयार करता है अनेक उत्पाद
फेडरेशन के प्रतिनिधियों ने बताया कि बसंतपुर में उनका रस्टिक विलेज के नाम से किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) है जोकि बहुत से उत्पाद तैयार करता है।
उन्होंने बताया कि संगठन में 450 से अधिक महिलाएं कार्य कर रही हैं जो कोहलू से तेल निकालने, देसी घी तैयार करने, आटा चक्की चलाने, पशु चारा और अचार बनाने सहित उनकी पैकेजिंग और लेबलिंग करती हैं।
उन्होंने बताया कि संगठन द्वारा तैयार उत्पाद की बिक्री प्रमुख मेलों, हिम ईरा शॉप और ऑनलाइन माध्यम से भी की जाती है।