पहाड़ी पर बंदरों की उछल कूद से खौफ में राहगीर

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नेरवा,नोविता सूद। नेरवा के शिवलौती भवन से लेकर कॉलेज रोड तक करीब तीन सौ मीटर क्षेत्र में पहाड़ी पर बंदरों की उछल कूद के चलते सड़क पर चलने वाले राहगीर अक्सर खौफ के साये में सफर करते हैं।

यह सड़क सुबह से शाम तक अत्यंत व्यस्त रहती है तथा इस पर सुबह शाम कॉलेज के अलावा एक दर्जन स्कूलों और अन्य संस्थानों के छात्र पैदल सफर करते हैं।

बीते समय में करीब तीन सौ मीटर सड़क के इस क्षेत्र में पहाड़ी से लुढ़के पत्थर के लगने से एक महिला की मृत्यु हो चुकी है तथा कई लोग घायल हो चुके हैं।

इसके अलावा सड़क के किनारे बनी दुकानों और घरों को भी क्षति पहुंच चुकी है। चार दिन पूर्व भी एक पत्थर के लुढ़कने से हार्डवेयर विक्रेता अली मोहम्मद का हजारों रुपये का नुक्सान हो चूका है, जबकि गत 25 फरवरी को तो पहाड़ी से लुढ़के एक पत्थर की चपेट में आने से एक महिला की दर्दनाक मौत भी हो चुकी है।

एक निजी मोबाइल कंपनी में तैनात सफाई कर्मचारी रमला, पत्नी कर्ण सुबह के समय कार्यालय बंद होने की वजह से सड़क के किनारे खड़ी धुप सेंक रही थी। इस दौरान पहाड़ी से लुढ़का पत्थर उसके सर पर आ लगा एवं उसकी अस्पताल पंहुचने से पहले ही मृत्यु हो गई।

बता दें कि इस पहाड़े पर दर्जनों बंदरों का डेरा रहता है। यह बन्दर सुबह होते ही पहाड़ी पर उछल कूद मचाते रहते हैं। बंदरों की इस उछल कूद और हवाएं चलने से अक्सर पहाड़ी से पत्थर लुढ़क कर सड़क पर गिरते रहते हैं।

यही पत्थर लोगों के लिए खौफ का कारण बने हुए हैं। स्थानीय लोग पिछले एक दशक से पहाड़ी के मुहाने पर लोहे की जालियां लगाने और पहाड़ी पर उत्पात मचाने वाले बंदरों को पकड़ कर किसी सुरक्षित स्थान पर छोड़ने लगा रहे है।

नगर पंचायत नेरवा के अध्यक्ष बबिता तंगड़ाईक, पार्षद योगेंद्र पुरटा, संजय कुमार, मनोनीत पार्षद अमन सूद, व्यापार मंडल नेरवा के अध्यक्ष राजीव भिख्टा,उपाध्यक्ष दिनेश अमरेट, महासचिव जगत चौहान, कोषाध्यक्ष प्रदीप चौहान, प्रेस सचिव सुरेश सूद, ग्राम पंचायत नेरवा- चंदलोग की प्रधान बबिता रमचाईक, बीडीसी सदस्य मधु रमचाइक, ग्राम पंचायत केदी की प्रधान ऋतू राठौर, स्थानीय व्यवसाई अजय तंगड़ाईक,रमेश ठुंडू,तमाम व्यापारियों एवं स्थानीय लोगों ने वन मंत्री राकेश पठानिया तथा प्रशासन से गुहार लगाईं है कि शिवलौती भवन से लेकर कॉलेज रोड तक पहाड़ी से लुढ़क रहे पत्थरों से बचाव हेतु जालियां लगाईं जाए तथा इस क्षेत्र से बंदरों को पकड़ कर किसी सुरक्षित स्थान पर छोड़ा जाए।

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