शिमला। छात्र अभिभावक मंच ने हिमाचल प्रदेश पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन की वर्ष 2020 की पूर्ण फीस वसूली व एनुअल चार्जेज़ सहित सभी प्रकार के चार्जेज़ की वसूली की घोषणा का कड़ा विरोध किया है व इसे छात्रों व अभिभावकों की लूट करार दिया है।
मंच ने वर्ष 2021 में निजी स्कूलों द्वारा मनमानेपूर्वक तरीके से की गई आठ से चौदह प्रतिशत की फीस बढ़ोतरी का भी कड़ा विरोध किया है। मंच ने इसके खिलाफ आंदोलन करने का निर्णय लिया है।
मंच के प्रदेश संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि निजी स्कूलों की लूट, मनमानी व भारी फीसें किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं होंगी। इसके खिलाफ पूरे प्रदेश में निर्णायक आंदोलन होगा।
उन्होंने सभी अभिभावकों से अपील की है कि वे टयूशन फीस के अलावा सभी तरह के चार्जेज़ का पूर्ण बहिष्कार करें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के कानून बनाने व रेगुलेटरी कमीशन गठित करने पर यू टर्न लेने से ही निजी स्कूल प्रबंधनों का हौंसला बढ़ा है व वे तानाशाही पर उतर आए हैं। वे अब सरेआम पूर्ण फीस वसूली की बात करके अभिभावकों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित कर रहे हैं जिस पर सरकार ने खामोशी धारण कर ली है।
विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार पर निजी स्कूलों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया है इसलिए ही विधानसभा सत्र में फीस, प्रवेश प्रक्रिया व पाठ्क्रम को संचालित करने के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया।
इसी से निजी स्कूल प्रबंधनों के हौंसले बुलंद हो गए हैं। एक तरफ ये प्रबंधन अभिभावकों से कोरोना काल के एनुअल चार्जेज़ सहित सभी प्रकार के चार्जेज़ की वसूली की बात कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर वर्ष 2021 में मनमर्जी से आठ से चौदह प्रतिशत फीस बढ़ोतरी करके अभिभावकों से भारी फीस वसूली की बुकलेट्स जारी कर दी गयी हैं।
यह फीस बढ़ोतरी अभिभावकों की आम सभा से परामर्श किये बिना ही कर दी गयी है जोकि प्रदेश सरकार व उच्चतर शिक्षा निदेशालय द्वारा वर्ष 2020 में फीसों के निर्धारण में अभिभावकों की आम सभा की भूमिका सुनिश्चित करने के आदेश का भी खुला उल्लंघन है।
उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि निजी स्कूल प्रबंधनों पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए तथा फीसों को संचालित व विनियमन करने के लिए ठोस कानून लाया जाए व रेगुलेटरी कमीशन बनाया जाए।
उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वर्ष 2020 के एनुअल चार्जेज़ व अन्य चार्जेज़ पर रोक लगाने तथा वर्ष 2021 में किसी भी तरह की फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए तुरन्त लिखित आदेश जारी किए जाएं।