नालागढ़ की कवि और कहानीकार डा प्रियंका वैद्य ने प्रदेश विश्वविद्यालय में सह-आचार्य का सम्भाला दायित्व

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शिमला। सपने सच होते हैं। वैद्य ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की और तभी उनके माता-पिता ने सपना देखा कि वह वहीं अध्यापन करे।

माता-पिता शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत रहे और अध्यापन वैद्य को विरासत में मिला। वैद्य कहती हैं कि उनके पिता उनके साथ सम्मेलनों में जाते रहे और उनको हमेशा प्रोत्साहित करते रहे, माँ सदैव प्राणऊर्जा संचालित करती रही।

बहन दीप्ति विदेश में होते हुए भी वैद्य को प्रत्येक कदम पर प्रोत्साहित करती है। भाई आशुतोष वैद्य ने बचपन में छोटी बहन की जिन उँगलियों को पकड़ा था, उन्हीं हाथों की क़लम को सामर्थ्य दिया और इस नए कार्यभार को संभालने के लिए विश्वविद्यालय अपनी छोटी बहन के साथ गए और प्रेम की पराकाष्ठा को परिभाषित किया।

वैद्य कहती हैं कि उन्हें देवभूमि में प्रत्येक दिशा में ईश्वर दिखाई देते है और विश्वविद्यालय में कहीं हनुमान का अपार प्रेम, तो कभी श्रीराम का सानिध्य, तारा माँ और ढिंगू मंदिर का एहसास प्रत्येक कण और हवा में विद्यमान है।
वैद्य इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी यूजीसी -आईयूसी में सह-अध्येता भी हैं। लेफ़्टिनेंट डा प्रियंका वैद्य द्वारा लिखित कहानी संग्रह ‘लॉकडाउन डायरी’ चर्चा में रहा है। वैद्य “योग के माध्यम से आध्यात्मिक उत्थान: स्वामी विवेकानंद” विषय पर भी शोध कर रही हैं।

उनका एक और कहानी संग्रह प्रकाशाधीन है। हिमाचल प्रदेश की साहित्यकार डॉ प्रियंका वैद्य पिछले ग्यारह वर्षों से हिमाचल प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में अंग्रेजी विषय की सहायक आचार्य के पद पर कार्यरत हैं।

वह नालागढ़, जिला सोलन और देवों की भूमि छोटी काशी मंडी से सम्बन्ध रखती हैं। उनकी आठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें तीन काव्य संग्रह, तीन शोध पुस्तकें और दो कहानी संग्रह हैं। वह 100 से अधिक शोध पत्रों पर काम कर चुकी हैं। उन्हें अनेकों बार साहित्य में योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया है।

उन्हें वुमन अचीवर अवार्ड, हिमालय युवा सृजन सम्मान, वुमन आइकन अवार्ड, श्री अटल बिहारी वाजपेयी सम्मान, काव्य प्रतिभा सम्मान और साहित्य श्री सम्मान मिला है। डॉ वैद्य कवि सम्मेलनों, राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों में उत्साहपूर्वक हिस्सा लेती हैं।

डॉ वैद्य ने लंदन में यूनिवर्सिटी ऑफ़ केंट, कैंटरबरी में कालचक्र और कर्मयोग के सम्बन्ध में शोध पत्र प्रस्तुत किया।

वैद्य की प्राथमिकता है कि भगवद्गीता, योग, वेद, उपनिषद और भारतीय संस्कृति का उज्जवल पक्ष अंग्रेजी साहित्य के माध्यम से विश्व पटल पर प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाए।

वैद्य हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी, हिमाचल प्रदेश की गतिविधियों में निरंतर क्रियाशील रही है। प्रकृति से उन्हें प्रेरणा मिलती है।

वैद्य ने कैमडन टाऊन, लंदन में प्रवासी भारतीयों के संदर्भ में शोध पत्र प्रस्तुत किया। उनकी कविताएँ और कहानियाँ जिस अनुभूति को तरंगित करती हैं, उसी कलम से कुछ स्याही लेकर डॉ वैद्य ने दो और कहानी संग्रह लिखे हैं।

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